दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 20 मार्च
हरियाणा कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर दिल्ली में सरगर्मियां बढ़ गई हैं। जी-23 नेताओं में शामिल पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पिछले चार-पांच दिनों से दिल्ली में जमे हुए हैं। प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा सहित कई अन्य वरिष्ठ नेता भी दिल्ली में सक्रिय हैं। वहीं दूसरी ओर, गुलाम नबी आजाद की कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद जी-23 नेताओं के भी हौसले बुलंद हैं। दिल्ली से जुड़े सूत्रों का कहा है कि नेतृत्व ने हरियाणा में पार्टी घमासान को रोकने के लिए तीन-चार फार्मूलों पर काम शुरू कर दिया है।
कहा जा रहा है कि इन फार्मूलों को लेकर हुड्डा के साथ चर्चा हो चुकी है। माना जा रहा है कि हरियाणा कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ भी फार्मूलों पर मंथन होगा। नेतृत्व बीच का रास्ता निकालने की जुगत में है। वर्तमान में पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा के हाथों में हरियाणा कांग्रेस की कमान है। उनकी गिनती सोनिया के नजदीकियों में होती है। उन्हें अगर हटाया जाता है तो राष्ट्रीय राजनीति में लाया जाएगा। खाली हो रही राज्यसभा की सीट के लिए भी सैलजा के नाम को फाइनल किया जा सकता है। तोशाम से विधायक किरण चौधरी भी गांधी परिवार के करीबियों में हैं।
सूत्रों की मानें तो हुड्डा खेमे को प्रधानगी मिलने की सूरत में विधायक कुलदीप बिश्नोई को विधायक दल का नेता (सीएलपी) बनाने का सुझाव दिया गया है। बैसे बिश्नोई के नाम पर कांग्रेस विधायकों ने अंदरखाने विरोध भी शुरू कर दिया है। उनकी दलील है कि बिश्नोई विधानसभा के सत्रों में भाग नहीं लेते। विधायकों का समर्थन नहीं मिलता तो प्रदेश में गुटबाजी फिर खड़ी रहेगी।
वहीं हुड्डा के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि वह भी सीएलपी लीडर के पद को ‘शायद’ ही छोड़ें। हालांकि उनके प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद किसी गैर-जाट को ही विधायक दल का नेता बनाया जाना भी तय है। हरियाणा में प्रदेशाध्यक्ष के साथ एक ‘बेड-लक’ जुड़ा हुआ है। प्रदेशाध्यक्ष रहते कोई भी नेता अभी तक प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बना है। 2005 में हुड्डा खुद इसके गवाह रहे हैं। भजनलाल के पास कांग्रेस प्रधान थे और हुड्डा सीएलपी लीडर थे। नतीजों के बाद भजनलाल के बजाय हुड्डा को ही मुख्यमंत्री बनाया गया।
एक सुझाव यह भी : दिल्ली से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व को एक सुझाव यह भी दिया गया है कि प्रदेश में संतुलन बनाए रखने के लिए एक कोर्डिनेशन कमेटी गठित की जाए जिसमें सभी खेमों के वरिष्ठ नेता रहें। केंद्रीय नेतृत्व का भी इसमें दखल रहेगा। इससे किसी भी नेता को अनदेखी की शिकायत नहीं रहेगी।
मंथन के बिंदु
फार्मूला 1 : हुड्डा को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर कुलदीप बिश्नोई को सीएलपी लीडर बनाया जाए। विधायकों का विरोध इसमें आड़े आ सकता है।
फार्मूला 2 : हुड्डा सीएलपी लीडर बने रहें और किसी गैर-जाट को प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाए। ब्राह्मण कोटे से कार्यकारी अध्यक्ष रहे कुलदीप शर्मा का नाम चर्चाओं में है। अनुसूचित जाति के कुछ नेताओं के नाम भी चर्चाओं में हैं।
फार्मूला 3 : दीपेंद्र हुड्डा को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर किसी दलित या ब्राह्मण विधायक को सीएलपी लीडर नियुक्त किया जाए।
फार्मूला 4 : किसी गैर-जाट को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर उसके साथ दो से तीन कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए जाएं।