जसमेर मलिक/हप्र
जींद, 20 नवंबर
जींद के खुंगा कोठी गांव स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय परिसर में जींद रियासत के राजा की कोठी को पुरातत्व विभाग धरोहर के रूप में विकसित करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इसके लिए जिला प्रशासन ने लगभग 4 एकड़ जमीन जवाहर नवोदय विद्यालय से मांगी है। इसके लिए लगभग 4 महीने पहले जींद के तत्कालीन डीसी डॉ मनोज कुमार ने शुरुआत की थी। जिला प्रशासन ने इस सिलसिले में जवाहर नवोदय विद्यालय से वह 4 एकड़ जमीन वापस मांगी है, जिस जमीन पर राजा की पुरानी कोठी आज भी मौजूद है। इस प्राचीन कोठी का रेनोवेशन पुरातत्व विभाग ठीक उसी निर्माण कला पर करवाना चाहता है, जिस पर इसका निर्माण हुआ था। राजा की कोठी को लेकर एक बार इस पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित करने पर विचार हुआ था, लेकिन रिमोट ग्रामीण एरिया में होने के कारण पर्यटक स्थल की योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। इसी कारण प्रशासन और पुरातत्व विभाग अब राजा की कोठी को प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विकसित करना चाहता है।

इसलिये जुड़ा नाम
जिले के खुंगा गांव को खुंगा कोठी के नाम से केवल इसलिए जाना जाता है कि जब जींद एक रियासत होती थी, तब जींद रियासत के राजा ने इस गांव में नहर के किनारे पर अपने रात्रि ठहराव के लिए आलीशान कोठी बनवाई थी। राजा की इस कोठी के कारण ही खुंगा गांव के साथ कोठी नाम जुड़ गया। अब पिछले कई दशक से नहर के किनारे राजा की कोठी वाले परिसर में जवाहर नवोदय विद्यालय चल रहा है। जवाहर नवोदय विद्यालय परिसर में अभी जींद रियासत के समय का प्राचीन निर्माण मौजूद है, जिसमें मुख्य रूप से वह कोठी है, जिसमें जींद रियासत के राजा रात्रि ठहराव करते थे। जींद रियासत के राजा के खुंगा कोठी में रात्रि विश्राम को लेकर भी यह कहा जाता है कि राजा को यह श्राप मिला था कि उन्होंने जींद में रात बिताई तो उनकी मौत हो जाएगी। इसके बाद ही जींद रियासत के राजा ने अपने रात्रि ठहराव के लिए खुंगा गांव में आलीशान कोठी का निर्माण करवाया था।
गंभीरता से कर रहे विचार : पुरातत्व विभाग
खुंगा गांव में जवाहर नवोदय विद्यालय परिसर में राजा की पुरानी कोठी को प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विकसित किए जाने को लेकर पुरातत्व विभाग के निदेशक और जींद के पूर्व डीसी अमित खत्री का कहना है कि इस पर पुरातत्व विभाग गंभीरता से विचार कर रहा है। कोठी वाली 4 एकड़ जमीन जवाहर नवोदय विद्यालय से मांगी गई है, ताकि इस 4 एकड़ परिसर को प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विकसित किया जा सके।