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लम्बी राजनीतिक पारी खेलने का ग्राउंड बना रहे कार्तिकेय शर्मा

‘ज्ञान गंगा’ केंद्रों के जरिये युवाओं को साथ जोड़ने का बनाया रोडमैप
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कार्तिकेय शर्मा
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ट्रिब्यून न्यूज सर्विसचंडीगढ़, 28 अप्रैल

हरियाणा से निर्दलीय राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा लम्बी राजनीतिक पारी खेलने का ग्राउंड बनाने में जुटे हैं। लगातार तीसरे वर्ष सफल परशुराम सम्मेलन के जरिये उन्होंने ब्राह्मण राजनीति में बड़ा दखल दिया है। उनकी सक्रियता ने प्रदेश के कई ब्राह्मण राजनीतिक चेहरों के सामने भी चुनौती पेश कर दी है। परिवार का पुराना और लम्बा राजनीतिक बैकग्राउंड होने का फायदा भी कार्तिकेय शर्मा को मिलता दिख रहा है।

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करीब ढाई साल पहले एकदम विपरित परिस्थितियों में उन्होंने राजनीति में कदम रखा था। बेशक, पिता व पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित विनोद शर्मा तथा माता व कालका विधायक शक्ति रानी शर्मा के चुनावों के दौरान भी वे एक्टिव रहे हैं। लेकिन खुद के लिए वे पहली बार ही चुनावी रण में उतरे थे। आमतौर पर राज्यसभा में उम्रदराज नेताओं को भेजे जाने का प्रचलन रहा है लेकिन युवा कार्तिकेय शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़कर और जीत हासिल करके इस मित्थ को भी तोड़ने में कामयाब हासिल की।

राजनीति में ब्राह्मणों का पुराना और प्रभावी दखल रहा है। राज्य में सरकार चाहे किसी भी पार्टी की बनी हो, ब्राह्मणों को कैबिनेट में जगह मिलती रही है। मौजूदा भाजपा सरकार में पार्टी की कमान जहां पंडित मोहनलाल बड़ौली के हाथों में है, वहीं नायब कैबिनेट में भी दो ब्राह्मण चेहरों को जगह दी गई है। गोहाना विधायक डॉ़ अरविंद शर्मा नायब सरकार में कैबिनेट तथा पलवल विधायक गौरव गौतम राज्य मंत्री हैं।

कार्तिकेय शर्मा भी भाजपा के समर्थन से ही राज्यसभा पहुंचने में कामयाब रहे। ढाई साल पहले राज्यसभा की दो सीटों पर चुनाव हुआ। उस समय संख्याबल के हिसाब से भाजपा का एक सीट पर चुनाव जीतना तय था लेकिन दूसरी सीट के लिए चुनौतियां थीं। कांग्रेस के पास खुद के 31 विधायक थे। कार्तिकेय शर्मा ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावों ताल ठोकी। उस समय भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार थी और जजपा के भी 10 विधायकों का समर्थन कार्तिकेय को मिला।

यह पहला मौका था जब प्रदेश के तीनों ‘लाल परिवारों’ का सहयोग कार्तिकेय को मिला। अभय सिंह चौटाला ऐलनाबाद से इनेलो विधायक हुआ करते थे और उन्होंने भी कार्तिकेय शर्मा को वोट दिया। इसी तरह से कांग्रेस में होते हुए भी उस समय आदमपुर विधायक कुलदीप बिश्नोई ने क्रॉस वोटिंग करते हुए कांग्रेस के अजय माकन की बजाय निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा का साथ दिया। कार्तिकेय शर्मा यह बात खुद स्वीकार करते हैं कि उन्हें चुनाव में तीनों ही परिवारों का समर्थन मिला।

युवाओं को जोड़ने का रोडमैप

कार्तिकेय शर्मा युवा हैं और इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने युवाओं को अपने साथ जोड़ने का रोडमैप बनाया है। रविवार को पंचकूला में आयोजित परशुराम सम्मेलन में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की मौजूदगी में कार्तिकेय शर्मा ने ‘ज्ञान गंगा’ कार्यक्रम शुरू करने का ऐलान किया। इसके तहत प्रदेश के विभिन्न जिलों की ब्राह्मण धर्मशालाओं में हाईटेक सुविधाओं से लैस लाइब्रेरी और कोचिंग सेंटर स्थापित होंगे। इन सेंर्ट्स में वंचित व गरीब परिवारों के बच्चों को यूपीएससी, एसएसई, जेईई व एचपीएससी जैसी राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर की परीक्षाओं की तैयारी करवाई जाएगी। सेवानिवृत्त अधिकारियों व विषय विशेषज्ञों के सहयोग से इस योजना को सिरे चढ़ाया जाएगा।

पिता के नक्शेकदम पर

पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा भी प्रदेश में ब्राह्मणों को लामबंद करने के लिए काम करते रहे हैं। हरियाणा में भी कैबिनेट मंत्री रह चुके विनोद शर्मा ने कांग्रेस छोड़ने के बाद अपनी खुद की पार्टी बनाई। विनोद शर्मा ने प्रदेश के सभी जिलों में ब्राह्मण सम्मेलन किए। अब परशुराम सम्मेलन के जरिये कार्तिकेय शर्मा प्रदेशभर के ब्राह्मणों को एकजुट करने की मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं। भाजपा के प्रति उनकी दिलचस्पी से स्पष्ट है कि वे भी आने वाले दिनों में भाजपा में ही सक्रिय राजनीति कर सकते हैं। उनकी माता शक्ति रानी शर्मा कालका से भाजपा की विधायक हैं।

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