पंचकूला, 18 नवंबर (ट्रिन्यू)
मुख्यमंत्री एवं हरियाणा साहित्य अकादमी के अध्यक्ष मनोहर लाल ने बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अकादमी परिसर में महान संत कवि सूरदास, क्रांति के अग्रदूत लेखक बाबू बालमुकुन्द गुप्त और लोक कवि पंडित लखमीचंद की प्रतिमाओं का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने इस बात पर खुशी जताई कि कोरोना काल में भी न तो कलम थमी न स्वर लहरियां, न कैमरे व न ही कंप्यूटरों की क्लिक। सृजन की यात्रा अविरल जारी है और इसका श्रेय इन महान कालजयी साहित्यकारों को हैं जिनकी पावन प्रतिमाएं यहां स्थापित हो रही हैं। मंच का संचालन अकादमी के निदेशक डा़ चंद्र त्रिखा ने किया।
उन्होंने कहा कि इन तीनों कालजयी शख्सियतों की अपनी-अपनी प्रेरक विशेषता है। तीनों ही हरियाणा की इस पावन धरा पर जन्में। तीनों की कलम एवं स्वर यात्रा यहीं से प्रारंभ हुई। जन्मांध होते हुए भी एक लाख से अधिक पदों की रचना करने वाले महाकवि सूरदास इसी धरा पर फरीदाबाद के सेक्टर-8 स्थित सीही ग्राम में जन्में थे। कलम के तीखे तेवरों से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को चुनौती देने वाले महान पत्रकार एवं लेखक बाबू बालमुकुंद गुप्त इसी प्रदेश के एक गांव गुडियानी में जन्में थे। जन-जन में अपनी रागिनियों के माध्यम से माननीय संवेदनाओं को संपादित करने वाले पंडित लखमीचंद इसी माटी की सोंधी गंध में जन्में थे। आज सूर्य कवि पंडित लखमीचंद के पौत्र पंडित विष्णु दत्त व प्रपौत्र पंडित विजय कुमार और बाबू बाल मुकुंद गुप्त के गांव गुडियानी एवं रेवाड़ी से उनके साहित्यिक वंशज सत्यवीर नाहडिया, ऋषि सिंहल, डा. प्रवीण व गुड़ियानी के सरपंच भी मौजूद थे। इस अवसर पर विधान सभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता, हरियाणा की अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरा खंडेलवाल, लोक सम्पर्क विभाग के महानिदेशक पीसीमीणा, डीसी मुकेश आहूजा मौजूद थे।