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रेलवे के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा जींद-सोनीपत रूट

जसमेर मलिक/हप्र जींद, 16 मई जींद-सोनीपत के बीच चलने वाली ट्रेन पिछले लगभग 8 साल से यात्रियों के लिए तरस रही है। रेलवे के लिए यह रूट भारी घाटे का सौदा साबित हो रहा है। हालत यह है कि पिंडारा...

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पिंडारा रेलवे जंक्शन पर जगह- जगह मंडरा रहे बंदर। -हप्र
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जसमेर मलिक/हप्र

जींद, 16 मई

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जींद-सोनीपत के बीच चलने वाली ट्रेन पिछले लगभग 8 साल से यात्रियों के लिए तरस रही है। रेलवे के लिए यह रूट भारी घाटे का सौदा साबित हो रहा है। हालत यह है कि पिंडारा जंक्शन से इस ट्रेन में महीने भर में महज 2000 यात्री भी सवार नहीं हो रहे। इस जंक्शन पर महीने में ट्रेन की टिकटों की सेल से जितना पैसा रेलवे को मिलता है, वह यहां के सहायक स्टेशन मास्टर की सैलरी से भी कम है। लगभग 8 साल पहले जींद-सोनीपत रूट पर ट्रेन सेवा शुरू हुई थी। सोनीपत के तत्कालीन सांसद रमेश कौशिक ने खुद इस ट्रेन में गोहाना से पिंडारा तक का सफर तय किया था और कहा था कि इस रूट पर ट्रेन चलने से हजारों यात्रियों को फायदा होगा।

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महीने में नहीं बिक रही 2000 टिकट

जींद-सोनीपत ट्रेन रूट की हालत यह है कि पिंडारा जंक्शन से एक महीने में 2000 टिकट भी नहीं बिक रही हैं। एक महीने में मुश्किल से 1500 से 1600 टिकट ही पिंडारा रेलवे जंक्शन पर बिक पा रही हैं। यह हालत तब है, जब जींद - सोनीपत के बीच ट्रेन तीन फेरे लगाती है

यह कहते हैं एएसएम

पिंडारा रेलवे जंक्शन पर सुविधाओं के अभाव को लेकर सहायक स्टेशन मास्टर कुलदीप जागलान का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की कमी है। भूमिगत जल मानव उपयोग के अनुकूल नहीं है। बंदर भी बहुत बड़ी समस्या है।

पीने का पानी तक नहीं, बंदरों का आतंक

जींद -सोनीपत रेलवे लाइन पर स्थित पिंडारा रेलवे जंक्शन पर यात्रियों के लिए सुविधाओं का भारी अभाव है। इस जंक्शन पर सबसे बड़ी दिक्कत पीने के पानी की है। पिंडारा गांव में जहां रेलवे जंक्शन बना है, वहां का भूमिगत जल मानव उपयोग के कतई अनुकूल नहीं है। इसके अलावा पिंडारा रेलवे जंक्शन पर बंदरों का आतंक है। सैकड़ों की संख्या में बंदर पिंडारा रेलवे जंक्शन पर डेरा डाले रहते हैं। यही नहीं, पिंडारा रेलवे जंक्शन तक जाने का कोई पक्का रास्ता अब तक नहीं बन पाया है। झाड़ियों के बीच से होते हुए यात्रियों को कच्चे रास्ते से जंक्शन तक पहुंचाना पड़ता है।

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