जींद (हप्र) : अवैध रूप से हथियार रखने व लूट की वारदात को अंजाम देने के मामले में दो आरोपियों कालवन निवासी शिवकुमार तथा ईगराह निवासी सुनील को एएसजे अराधना साहनी की अदालत ने दोषी करार देते हुए तीन वर्ष कैद तथा 50 हजार रुपये जुमार्ने की सजा सुनाई है। मामले के अनुसार, 12 अप्रैल 2018 को पुलिस को सूचना मिली थी सफीदों नहर पुल पर दो युवक लूट की वारदात को अजांम देने के लिए खड़े हैं। जिनके पास अवैध पिस्तौल है। पुलिस ने दोनों आरोपियों कालवन निवासी शिवकुमार तथा ईगराह निवासी सुनील को गिरफ्तार कर लिया था। जिसके कब्जे से एक अवैध पिस्तौल, चार कारतूस तथा एक बिना नंबर प्लेट की बाइक बरामद हुई। पुलिस ने उनके खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। उसी समय से मामला अदालत में विचाराधीन था। बृहस्पतिवार को एएसजे आराधना साहनी की अदालत ने दोनों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।