ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 22 अप्रैल
हरियाणा के दो आईएएस अफसरों डॉ़ अशोक खेमका और संजीव वर्मा के बीच की खींचतान इन दिनों नौकरशाही में चर्चा का केंद्र बनी हुई है। दो रोज पहले खेमका के खिलाफ पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाकर पुलिस केस दर्ज करने के आदेश दे चुके संजीव वर्मा, इससे पहले अपने ही खिलाफ सीबीआई जांच की भी मांग कर चुके हैं। यह मामला 2016-17 के दौरान का है जब संजीव वर्मा अभिलेखागार विभाग में कार्यरत थे। खेमका ने सरकारी गाड़ी का दुरुपयोग करने के आरोप उन पर लगाए थे।

संजीव वर्मा ने 18 अप्रैल को मुख्य सचिव संजीव कौशल को लिखे पत्र में इस गाड़ी के घटनाक्रम के अलावा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग तथा खेल एवं युवा मामले विभाग के उस पीरियड का भी जिक्र किया है, जिस दौरान दोनों आईएएस – अशोक खेमका व संजीव वर्मा इन विभागों में कार्यरत थे। वर्मा ने आरोप लगाए हैं कि खेमका शुरू से ही उनसे द्वेष रखते हैं और बदले की भावना के चलते ही उनके खिलाफ झूठे व मनघड़ंत आरोप लगाए गए हैं।
वहीं दूसरी ओर, संजीव वर्मा द्वारा अशोक खेमका सहित चार अन्य के खिलाफ हरियाणा वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन में दो अधिकारियों की नियुक्ति में धांधली व नियमों के उल्लंघन की शिकायत पंचकूला के सेक्टर-5 पुलिस थाना में लंबित है। पुलिस शिकायत का अध्ययन कर रही है। अभी तक पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है। माना जा रहा है कि पुलिस सरकार के ‘इशारे’ का इंतजार कर रही है। इस बीच, संजीव वर्मा की वह चिट्ठी सामने आ गई है, जो उन्होंने मुख्य सचिव को लिखी है। वर्मा ने अशोक खेमका के आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि अभिलेखागार विभाग की जीप नंबर-एचआर03आर-0117 का विभाग के अधिकारियों ने दुरुपयोग किया। उनका कहना है कि ड्राइवर से भी अशोक खेमका ने गलत बयान लिए। उनका कहना है कि उन्होंने खुद ही इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में 2017 के दौरान सरकार ने संजीव वर्मा को निदेशक लगाया। उस समय अशोक खेमका विभाग के प्रधान सचिव थे। संजीव वर्मा का आरोप है कि उनके पास शिकायत आई कि विभाग में करोड़ों रुपये का गबन हुआ है।
ओल्ड एज पेंशन डिस्ट्रीब्यूशन करने के लिए एक कंपनी को हायर किया गया था। उस समय भी वर्मा ने जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था। उनका आरोप है कि खेमका ने एक अधिकारी को गलत एनपीए की परमिशन दी। नियमों को ताक पर रखकर विभाग में एक एडवाइजर की नियुक्ति की गई। इस नियुक्ति को बाद में सरकार को वित्त विभााग और एलआर की कानूनी राय के बाद रद्द भी करना पड़ा।
वर्मा ने पत्र में लगाया आरोप : खेमका रखते हैं द्वेष
पत्र में वर्मा ने आरोप लगाया है कि खेमका उनसे द्वेष रखते हैं। वे (संजीव वर्मा) सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से ट्रांसफर भी हो गए, लेकिन फिर भी उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए जाते रहे। खेल एवं युवा मामले विभाग में भी एक ऐसा दौर था जब खेमका प्रधान सचिव थे और संजीव वर्मा इसके निदेशक थे। संजीव वर्मा का आरोप है कि उस समय खेमका ने उन पर एक खिलाड़ी का ग्रेडेशन सर्टिफिकेट नहीं जारी करने का दबाव बनाया था।
विवाद जुड़ा है आईएएस के बेटे से
यह विवाद आईएएस जगदीप सिंह के बेटे विश्वजीत सिंह से जुड़ा है। बाद में हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार को विश्वजीत सिंह को एचसीएस पद पर ज्वाइनिंग देनी पड़ी थी। विश्वजीत सिंह के चयन पर खेमका ने ही सवाल उठाए थे और मुख्य सचिव को पत्र भी लिखा था। संजीव वर्मा ने मुख्य सचिव से आग्रह किया है कि खेमका द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों की सच्चाई जानने के लिए सरकार किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाए। उन्होंने सीबीआई से जांच करवाने की मांग भी अपने पत्र में की है।