राष्ट्रपति से लेकर अनेक निर्वाचित जनप्रतिनिधि बड़े चाव से गांव को गोद लेते हैं। ताम-झाम के साथ घोषणा भी करते हैं, लेकिन आदर्श ग्राम योजना के तहत जनप्रतिनिधि गांवों को गोद लेकर भूल से गए हैं। ‘माननीयों’ के गोद लिए गांव कहां तक और कितने ‘आदर्श’ हैं? उनकी हकीकत पर ग्राउंड रिपोर्ट से आपको रू-ब-रू कराने के लिए हम शुरू कर रहे हैं शृंखला।
– संपादक
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 19 मई
हरियाणा के सैकड़ों गांवों को अपने ‘पालनहारों’ का इंतजार है। पालनहार आएंगे, योजना को आगे बढ़ाएंगे तो इन गांवों के दिन बहुरेंगे। असल में इन गांवों को सांसद और विधायक आदर्श ग्राम योजना के तहत ‘आदर्श’ बनना था। अब चूंकि फंड का प्रबंध हरियाणा सरकार को करना है तो देश की सबसे बड़ी ‘पंचायत’ यानी संसद के ‘बड़े पंचों’ को मशक्कत भी उतनी ही करनी पड़ती है। इसी तरह की स्थिति विधायकों के सामने भी है। देश के राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने भी नूंह (मेवात) के आधा दर्जन के करीब गांवों को गोद लिया था।
प्रदेश के लोकसभा व राज्यसभा सांसदों द्वारा कुल 39 गांवों को अभी तक गोद लिया गया। ग्राउंड रियलटी यह है कि कई गांवों का तो अभी तक विलेज डेवलेपमेंट प्लान ही नहीं बन पाया है। कई सांसद ऐसे हैं, जिन्होंने गांव गोद लेने की महज औपचारिकता ही की है।
करनाल सांसद संजय भाटिया ने पानीपत के पट्टी कल्याण गांव को गोद लिया है। बता दें कि पट्टी कल्याण में आरएसएस का बड़ा मुख्यालय बन रहा है। सोनीपत सांसद रमेश चंद्र कौशिक ने जींद के दो गांवों- बराहा कलां और पाच्चू कलां को गोद लिया है। रोहतक सांसद डॉ़ अरविंद शर्मा ने नयाबांस गांव को गोद लिया है।
राज्यसभा सांसद दुष्यंत कुमार गौतम ने गुरुग्राम के जमालपुर को गोद लिया है। वहीं सुभाष चंद्रा ने आदमपुर और सदलपुर गांवों को गोद लिया। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने अभी तक एक भी गांव को गोद नहीं लिया है। केंद्र में मंत्री रहे और अंबाला सांसद रतनलाल कटारिया ने जटावाड़ा गांव को गोद लिया था। उन्होंने इस गांव को संभाला नहीं। भिवानी-महेंद्रगढ़ सांसद धर्मबीर सिंह ने महेंद्रगढ़ के बसई और सिम्हा गांव को गोद लिया हुआ है। केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने पलवल के गहलब गांव को आदर्श बनाने का बीड़ा उठाया।
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने भाड़वास, खरखड़ा व घामडोज को गोद लिया हुआ है। कुरुक्षेत्र सांसद नायब सिंह सैनी ने पांच गांवों-रामशरण माजरा व धुराला (कुरुक्षेत्र), कठवाड़ व हजवणा (कैथल) व गुमथला (यमुनानगर) को गोद लिया है। सिरसा सांसद सुनीत दुग्गल ने नरवाना के धमताना साहिब, सिरसा के भावदीन, जीवन नगर, सांगससरिया व फतेहाबाद के दरियापुर गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया है।
हिसार सांसद बृजेंद्र सिंह ने बुरे, खेबुआ, कुलाना, साई व डोहाणा खेड़ा गांव को गोद लिया हुआ है। पांच गांवों को गोद लेने वाले सांसदों में शामिल डॉ़ डीपी वत्स ने कुम्भा, खरखड़ा, कुलताना, कंवारी व कामना गांवों को गोद लिया हुआ है। राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा ने रोहतक के भराण शेखपुर तितरी तथा सोनीपत के नाहरी, पिनाना, महलाना व एक अन्य गांव को सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत अपनाया है।
केंद्र की मोदी सरकार ने जिस प्लानिंग के तहत इस योजना को शुरू किया था, वह अभी तक सिरे नहीं चढ़ी है। गोद लिए हुए गांव न तो आदर्श बने हैं और न ही लोगों की मुश्किलें कम हुई हैं। दरअसल, ग्रामीण विकास फंड से पैसा निकलवाना इतना आसान नहीं है। इससे जुड़ी फाइलें मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) तक जाती हैं। परियोजना की कल्पना के मुताबिक प्रदेश में एक भी गांव नहीं बन पाया है।