सोनीपत, 23 दिसंबर (हप्र)
तीन नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर कुंडली बॉर्डर पर 27 दिनों से डेरा जमाए किसानों ने सर्दी से बचने का जुगाड़ तैयार कर लिया है। लगातार सर्दी की वजह से बीमार हो रहे किसानों ने बचाव के लिए भूसे का सहारा ले लिया है। जिनके पास गद्दे नहीं है, वह भूसा बोरे में भरकर उनको अपना बिछौना बना रहे है। वहीं, खुले आसमान के नीचे सोने वाले किसान शाम को अपने बिस्तर के पास अलाव जला लेते हैं, इससे रातभर गरमाहट रहती है।
सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर 27 नवंबर से किसान सड़क पर डेरा डाले हुए है। किसानों ने शुरुआत में जब धरना शुरू किया था, तो उस समय उनकी संख्या करीब 25 हजार थी। साथ ही उस समय तापमान भी 14 डिग्री सेल्सियस तक था। इससे किसानों को सोने के लिए काफी जगह मिलती थी, तो ठंड से भी राहत थी, लेकिन कुंडली बॉर्डर पर किसान लगातार बढ़ते जा रहे है और ठंड भी बढ़ रही है। इससे अब कैंप आदि में किसानों के सोने तक के लिए जगह नहीं बचती है। ठंड में खुले आसमान के नीचे ही सोना पड़ रहा है। इसके अलावा काफी किसान ऐसे है, जिनके पास गद्दे नहीं है। इनके लिए भी परेशानी ज्यादा बढ़ रही है।
पंडाल का बढ़ाया दायरा
इस बीच, किसानों को सर्दी से बचाने के लिए पंडाल का दायरा भी रोजाना बढ़ाया जा रहा है। पहले केवल स्टेज पर ही पंडाल था, अब कई जगह लंबे-चौडे पंडाल लगाए जा रहे हैं, ताकि ठंड से किसानों का बचाव हो सके। प्रबंधन समिति इसके लिए लगातार प्रयास कर रही है। इधर, पंजाब के फतेहगढ़ साहिब के हरेंद्र सिंह, बलजीत सिंह, गुरबल सिंह, सुखचैन, गुरदासपुर के अमनदीप सिंह कहते है कि उनका दिन आराम से बीत जाता है। क्योंकि वह सुबह के समय उठ कर शबद कीर्तन करने के अलावा नाश्ता बनाने में जुट जाते हैं, तो उसके बाद धरनास्थल पर पहुंच जाते है।