चंडीगढ़, 3 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का संगठन गठित होने में देरी हो रही है, इसकी तमाम वजह सामने आ रही हैं। अब मंगलवार को पूर्व सीएम एवं नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से नयी दिल्ली में मुलाकात की। बताया गया है कि इस दौरान प्रदेश की राजनीति, हुड्डा विरोधी खेमे की गतिविधियों और कांग्रेस संगठन में शामिल किए जाने वाले नामों को लेकर चर्चा हुई।
हरियाणा कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की सूची बनकर तैयार है, लेकिन इस पर विवाद बना हुआ है। कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया सूची तैयार कर चुके हैं, लेकिन इस सूची पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके विरोधियों रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुमारी सैलजा तथा किरण चौधरी की सहमति नहीं बन पा रही है। बताया जाता है कि हुड्डा विरोधी इन नेताओं ने अपनी पसंद के नाम भी पार्टी प्रभारी दीपक बाबरिया को नहीं दिये हैं।
हुड्डा विरोधी यह नेता पार्टी प्रभारी पर उसी दिन से पक्षपात करने के आरोप लगा रहे हैं, जब से उन्होंने जिलाध्यक्षों के नाम की सिफारिश पैनल के रूप में करने के लिए पर्यवेक्षकों तथा समन्वयकों को जिलों में भेजा है। इसके बाद प्रभारी ने भी हुड्डा विरोधी नेताओं पर यह कहते हुए सख्त टिप्पणी की कि हर किसी की पसंद का ख्याल नहीं रखा जा सकता। जब यह नेता विभिन्न प्रदेशों में प्रभारी या पर्यवेक्षक बनकर जाते हैं तो क्या वे लोकल सभी कार्यकर्ताओं की पसंद-नापसंद का ख्याल रख पाते हैं।
कांग्रेस नेताओं के आपसी विवाद के चलते ही जिलाध्यक्षों की सूची लटक गई और प्रभारी गुजरात चले गये। अब यह सूची अक्तूबर के मध्य में ही आने की संभावना है। बताया जाता है कि कांग्रेस प्रभारी ने हाईकमान को प्रत्येक जिले में जिलाध्यक्ष के साथ कार्यकारी प्रधानों का भी प्रस्ताव दिया है। हुड्डा खेमा इस प्रस्ताव के समर्थन में अधिक नहीं है। हुड्डा समर्थकों का कहना है कि जिस तरह से कुछ कार्यकारी अध्यक्ष प्रदेश अध्यक्ष को काम करने में बाधा पैदा करते हैं, उसी तरह से जिलाध्यक्षों को भी काम नहीं करने दिया जाएगा।