दिनेश भारद्वाज
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 24 मई
हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों पर होने वाले चुनावों पर सभी राजनीतिक दलों के साथ अफसरशाही की भी नज़रें लगी हैं। विधानसभा गणित के हिसाब से एक सीट भाजपा के खाते में जानी तय है और दूसरी पर कांग्रेस का मजबूत दावा है। इस गणित के बीच अगर भाजपा ने दूसरी सीट पर भी दावा जताते हुए अपना प्रत्याशी उतार दिया तो समीकरण पूरी तरह से गड़बड़ा जाएंगे। बेशक, बिना क्रॉस वोटिंग के दूसरी सीट जीत पाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा।
कांग्रेस वर्किंग कमेटी के विशेष आमंत्रित सदस्य कुलदीप बिश्नोई पिछले करीब एक महीने से कांग्रेस हाईकमान से खासे नाराज़ हैं। पिछले दिनों वे सीएम मनोहर लाल खट्टर से भी गुरुग्राम में मुलाकात कर चुके हैं। इससे पहले भी कुलदीप भाजपा के साथ राजनीतिक पींग बढ़ाने की कोशिश कर चुके हैं। खतरा इसलिए भी अधिक है क्योंकि राज्यसभा चुनावों में न तो व्हिप जारी हो सकता है और न ही इन चुनावों में दल-बदल कानून लागू होता है।
यहां बता दें कि जिन दो सीटों पर 10 जून को चुनाव होने जा रहा है, करीब छह साल पहले इन्हीं दो सीटों पर ‘स्याही’ कांड हुआ था। उस समय भाजपा ने पहली सीट पर बीरेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया था। वहीं दूसरी सीट पर भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा चुनाव में थे। कांग्रेस व इनेलो ने मिलकर एडवोकेट आरके आनंद को प्रत्याशी बनाया था। चौदह विधायकों की वोट पेन बदलने के चलते रद्द हो गए थे। ऐसे में दूसरी सीट पर भी भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा की जीत हुई थी और कांग्रेस-इनेलो समर्थित प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा।
अब ठीक छह साल बाद वही इतिहास फिर से दोहराया जा सकता है। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि सुभाष चंद्रा की टीम ने नामांकन-पत्र प्रक्रिया सहित चुनावों को लेकर तमाम जानकारी विधानसभ सचिवालय से जुटानी शुरू कर दी है। ऐसे में कह सकते हैं कि सुभाष चंद्रा लगातार दूसरी बार राज्यसभा जाने के लिए ट्राई कर सकते हैं।
यह है समीकरण
90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में भाजपा को पहली सीट के लिए 31 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। भाजपा के पास खुद के 40 विधायक हैं। जजपा के 10 विधायकों का भाजपा को समर्थन हासिल है। 7 निर्दलीयों में से बलराज कुंडू को छोड़कर 6 विधायक भी भाजपा के साथ हैं। सिरसा विधायक गोपाल कांडा ने भी सरकार को समर्थन दिया हुआ है। ऐलनाबाद विधायक अभय सिंह चौटाला भी ऐसी स्थिति में भाजपा के साथ जा सकते हैं। ऐसे में अगर तीसरा प्रत्याशी मैदान में आता है तो कांग्रेस को चुनावों में जीत हासिल करने के लिए कम से कम 30 विधायकों की जरूरत होगी। यही जादुई आंकड़ा जुटाने की चुनौती भाजपा के सामने रहेगी। कुल मिलाकर भाजपा को मोटे तौर पर दो विधायकों का प्रबंध करना है। इस बीच, मंगलवार से चुनावों के लिए नामांकन-पत्र जमा करवाने की प्रक्रिया शुरू हो गई। 31 मई तक फार्म जमा होंगे और पहली जून को नामांकन-पत्रों की छंटनी होगी। 3 जून तक नामांकन-पत्र वापस लिए जा सकेंगे। नामांकन-पत्र वापसी के दिन तक अगर दो ही प्रत्याशी मैदान में रहते हैं तो फिर निर्विरोध दोनों का चुना जाना तय है। अगर तीसरा प्रत्याशी मैदान में रहता है तो फिर 10 जून को चुनाव होंगे।
नांदल होंगे रिटर्निंग अधिकारी
चुनाव आयोग ने विधानसभा सचिव राजेंद्र सिंह नांदल को राज्यसभा चुनावों के लिए रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया है। छह साल पूर्व हुए स्याही विवाद के चलते नांदल को इसके बाद हुए चुनावों में रिटर्निंग अधिकारी नहीं लगाया था। आयोग की ओर से आईएएस अधिकारियों को आरओ की ड्यूटी दी जाती रही। इस बार आयोग ने नांदल पर भरोसा जताते हुए उन्हें रिटर्निंग अधिकारी लगाया है।
कुमार विश्वास भी भाजपा सूची में
राज्यसभा टिकट के लिए भाजपा के कई दिग्गज नेता लॉबिंग कर रहे हैं। अंदरुनी सूत्रों का कहना है कि पार्टी की संभावित सूची में मौजूदा सांसद दुष्यंत कुमार गौतम के अलावा कवि कुमार विश्वास का नाम भी शामिल है। दुष्यंत कुमार गौतम को उपचुनाव के दौरान राज्यसभा भेजा गया था। इसी तरह से पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो़ रामबिलास शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़, पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल, पूर्व निकाय मंत्री कविता जैन, पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर सहित कई वरिष्ठ नेताओं द्वारा राज्यसभा के लिए लॉबिंग किए जाने की खबरें हैं।