सुरेंद्र मेहता/हप्र
यमुनानगर, 8 नवंबर
टोपरा गांव ने साबित कर दिया, कुछ भी मुश्किल नहीं होता। बस शर्त है, हिम्मत, हौसला, जुनून और प्रोत्साहन की। ग्रामीणों के इस जोश का कारण एशिया के सबसे ऊंचे अशोक चक्र पर छत्र का काम पूरा हो गया। इस तरह के गांव ने न सिर्फ फिरोजशाह तुगलक को जवाब दिया, बल्कि अपने गांव की गुम हुई पहचान को भी दोबारा हासिल कर लिया। इस गांव से 500 साल पहले फिरोज शाह तुगलक अशोककालीन स्तंभ को उखाड़ ले गया था। अब ग्रामीणों ने पंचायत, द बुद्धिस्ट फोरम और एनआरआई डॉ. सत्यदीप नील गोरी के सहयोग से एशिया का सबसे ऊंचा धर्मचक्र स्थापित कर लिया है।
द बुद्धिस्ट फोरम के अध्यक्ष और अशोक चक्र के संस्थापक सिद्धार्थ गौरी ने बताया कि 2300 साल पहले सम्राट अशोक ने स्तंभ की स्थापना करते हुए टोपरा को सुनहरे इतिहास का हिस्सा बनाया था। यह स्तंभ सम्राट अशोक का अंतिम शिलालेख माना जाता था। 14वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान फिरोज शाह तुगलक इस स्तंभ को यहां से उखाड़ कर दिल्ली ले गया। आज यह स्तंभ दिल्ली में फिरोजशाह कोटला मैदान में स्थापित है। सिद्धार्थ ने बताया कि तुगलक इस स्तंभ को जब यहां से उखाड़ कर दिल्ली ले गया, इसका चित्रण संसदीय भवन दिल्ली के गलियारे में लटके चित्र संख्या 42 में भी देखा जा सकता है। अशोक चक्र स्थापित करने के पीछे सोच यह है कि तुगलक ने टोपरा की जो पहचान छीन ली थी, उसे वापस लाया जाये। इस छत्र का वजन लगभग 2.5 टन है। इसकी ऊंचाई 61 फीट है।
छत्र पर बने हैं अष्टमंगला चिन्ह
छत्र अष्टमंगला छत्रावली’ आठ शुभ संकेतों का एक पवित्र संयोजन है। अनंत गांठ, कमल, झंडा, पहिया, कलश, दो मछलियां, छत्र, शंख। इसमें 70 स्वास्तिक डिजाइन बने हुए हैं। बुद्धिस्ट ग्रंथों के अनुसार अष्टमंगला चिन्ह समृद्धि प्रदान करती हैं।
ऑस्ट्रेलिया के डेंटिस्ट डॉ. सत्यदीप ने कराया फंड उपलब्ध
ऑस्ट्रेलिया के डेंटिस्ट डॉक्टर सत्यदीप नील गौरी ने टोपरा के चक्र और छत्र के लिए फंड उपलब्ध कराया। डॉ. सत्यदीप गौरी ने फोन पर बताया कि टोपरा में अशोक चक्र पर छत्र लगने का काम पूरा होने पर वह गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम मनोहर लाल खट्टर जोर देते हैं कि प्रवासी भारतीय को अपने गांवों के विकास के लिए काम करना चाहिए। उनके आह्वान से प्रेरित होकर मैं टोपरा गांव के प्रयास से जुड़ा हूं।
50 लोगों ने किया काम, 7 लाख हुए खर्च
यमुनानगर के कमल एनकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अनिल कुमार ने डिजाइन व फेब्रिकेशन में मदद की है। इंडस्ट्री के संचालक अनिल कुमार ने बताया कि छत्र की इंजीनियरिंग, कांसेप्ट, डिजाइन और ड्राइंग में एक साल का समय लग गया। लगभग 50 लोगों ने लगातार काम किया। इसके बाद यह संभव हो पाया है। गांव के सरपंच मनीष कुमार ने बताया कि इस काम पर लगभग 7 लाख खर्च किए गए हैं।