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शरारत करने पर माता-पिता की डांट ने बदल दिया हेमंत सांगवान का जीवन

गांव खेड़ी बूरा के मुक्केबाज ने विश्व बाक्सिंग में गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

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चरखी दादरी के गांव खेड़ी बूरा में गोल्ड जीतने के बाद हेमंत को सम्मानित करते परिजन और ग्रामीण। -हप्र
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चरखी दादरी, 6 नवंबर (हप्र)

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पढ़ाई के दौरान शरारत करने पर माता-पिता की डांट का हेमंत सांगवान का जीवन इस कदर बदल गया कि उसने बाक्सिंग में अपनी प्रतिभा दिखाते हुए गोल्ड मेडल जीतकर अपना व परिजनों का सपना पूरा कर दिखाया है।

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मात्र 17 वर्ष की उम्र में हेमंत सांगवान विश्व का सबसे छोटी उम्र में गोल्ड मेडलिस्ट बनकर इतिहास रच दिया है। हेमंत के माता-पिता पुलिस में हैं।

गोल्ड मेडलिस्ट हेमंत ने पीएम द्वारा 2036 में ओलंपिक व पैरा ओलंपिक खेलों की मेजबानी का स्वागत किया और देश के खिलाड़ियों को अच्छा मौका देने पर पीएम का आभार भी जताया है। बता दें कि चरखी दादरी के गांव खेड़ी बूरा निवासी हेमंत सांगवान ने पिछले दिनों अमेरिका के कोलोराडो में आयोजित विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में 90 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया है। हेमंत ने फाइनल बाउट में 4-1 के स्कोर से जीत हासिल करते हुए गोल्ड पर कब्जा किया।

पिता विनोद सांगवान व माता सुनीता देवी हरियाणा पुलिस में कार्यरत हैं। माता-पिता की मानें तो हेमंत शरारती था और एक दिन उसे डांट लगाई तो उसका जीवन ही बदल गया। मात्र 11 वर्ष की उम्र में ही हेमंत ने बाक्सिंग शुरू की और लगातार मेहनत करते हुए 17 वर्ष की उम्र में ही विश्व विजेता का खिताब अपने नाम कर लिया। विश्व का सबसे छोटी उम्र में गोल्ड मेडलिस्ट बनने का रिकार्ड हेमंत सांगवान के नाम हो गया है। मेडल लेकर अपने गांव खेड़ी बूरा लौटे हेमंत सांगवान को परिजनों व ग्रामीणों ने सम्मानित किया। हेमंत सांगवान ने बताया कि ओलंपिक में देश के लिए सोना जीतना ही उसका टारगेट है। इस दौरान दादी मूर्ति देवी, ताऊ सुखबीर प्रधान, प्रीतपाल व राकेश सांगवान ने उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।

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