चंडीगढ़, 20 अप्रैल (ट्रिन्यू)
हरियाणा में भी अब बिजली संकट गहरा रहा है। कोयले का स्टॉक भी समाप्त हो रहा है। सरकार के पास वर्तमान में आठ से दस दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है। गर्मी समय से पहले और अधिक होने की वजह से डिमांड भी पिछले साल से अधिक है। ऐसे में अब सरकार ने एमपी और छत्तीसगढ़ से बिजली खरीदने का फैसला लिया है।
गुरुवार को बिजली कंपनियों द्वारा इस मामले को लेकर हरियाणा राज्य बिजली विनियामक आयोग में मामला रखा जाएगा। माना जा रहा है कि आयोग की मंजूरी के बाद बिजली खरीद का फैसला होगा। बिजली खरीद के लिए आयोग की मंजूरी अनिवार्य है। इन दोनों राज्यों से 1000 मैगावाट बिजली की खरीद करने की योजना है।
राज्य के थर्मल प्लांटों को सुचारू रूप से चलाने और पूरा उत्पादन लेने के लिए रोजाना 12 से 13 रैक कोयले की जरूरत है। राज्य में अब करीब 10 दिन के कोयले का ही स्टॉक है। वहीं जरूरत के हिसाब से आपूर्ति नहीं हो रही है। फिलहाल हरियाणा में रोजाना औसतन 7 ही रैक कोयले के पहुंच रहे हैं। केंद्र से कोयले की आपूर्ति बढ़ाने का आग्रह किया है।
अगर कोयले की आपूर्ति नहीं बढ़ी तो स्थिति विकट हो सकती है। वहीं दूसरी ओर, उद्योगपतियों का उत्पादन भी बिजली कट से प्रभावित हो रहा है। हालांकि सरकार की ओर से फिलहाल उद्योगों में आपूर्ति की जा रही है लेकिन कट भी लग रहे हैं। इस मामले को लेकर पानीपत सहित कई जगहों के उद्योगपति बुधवार को बिजली विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास से मिले।
दास से मुलाकात के दौरान उन्होंने यह मामला उठाया। दास ने उन्हें भरोसा दिलाया कि बिजली कट की सूचना उन्हें कम से कम तीन घंटे एडवांस दी जाएगी। पानीपत के एसई को निर्देश भी जारी किए गए हैं ताकि उद्योगपतियों को बिजली संबंधी कोई दिक्कत न रहे।
पीके दास ने कहा कि प्रदेश में बिजली की डिमांड के अनुसार आपूर्ति बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास चल रहे हैं।