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Haryana News : हरियाणा में नए जिलों-उपमंडल व तहसीलों पर फिर हलचल, अब मुख्यमंत्री के पाले में गेंद

कैबिनेट सब-कमेटी की फाइनल रिपोर्ट तैयार; कमेटी के पास 11 नए जिलों की डिमांड फील्ड से पहुंची, रिपोर्ट के बाद की गई सिफारिशें

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Haryana News : चंडीगढ़ की सर्द हवा मंगलवार को अचानक गरम हो उठी, जब हरियाणा में नए जिलों, उपमंडल, तहसीलों और उप-तहसीलों के गठन को लेकर गठित कैबिनेट सब-कमेटी की एक और महत्वपूर्ण, निर्णायक और लंबी बैठक हुई। यह कोई औपचारिकता पूरी करने वाली बैठक नहीं थी। इस बार कमेटी कई दौर की गहन चर्चाओं, फील्ड इनपुट, मानदंडों की जांच और सभी प्रशासनिक पक्षों को खंगालने के बाद अपनी फाइनल रिपोर्ट तैयार करके बैठक से बाहर निकली।

इसी के साथ प्रदेश में नए जिलों की बहस एक बार फिर नई रफ्तार पकड़ चुकी है। कमेटी की ओर से तैयार रिपोर्ट मंगलवार शाम को ही मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के पास भेज दी गई है। अब गेंद पूरी तरह से मुख्यमंत्री के पाले में है। वे रिपोर्ट का गहराई से अध्ययन करेंगे और उसके बाद ही इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। यानी हरियाणा के प्रशासनिक नक्शे में बदलाव की कहानी अब सीएम सैनी पर आकर ठहर गई है।

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कमेटी के पास कुल 11 संभावित नए जिलों के प्रस्ताव आए थे। इनमें असंध, नारायणगढ़, मानेसर, पटौदी, पिहोवा, हांसी, बरवाला, सफीदों, गोहाना, बल्लबगढ़ और डबवाली शामिल हैं। लेकिन हकीकत यह है कि हरियाणा भौगोलिक रूप से छोटा प्रदेश है, फिर भी पहले से ही 22 जिले हैं। ऐसे में एक साथ 11 नए जिले बन जाना लगभग असंभव माना जा रहा है। कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में इन प्रस्तावों को प्राप्त सुझाव के रूप में तो शामिल किया है, लेकिन जिलों के गठन का अंतिम निर्णय अब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को लेना है।

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यह भी महत्वपूर्ण है कि हांसी और डबवाली पहले से ही पुलिस जिला घोषित किए जा चुके हैं, लेकिन उन्हें रेवन्यू जिला बनाने का फैसला अभी तक नहीं हुआ है। मंगलवार को राजस्व एवं आपदा प्रबंधन तथा शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल के आवास पर हुई बैठक में सब-कमेटी के चेयरमैन तथा विकास एवं पंचायत मंत्री कृष्ण लाल पंवार, कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा, हांसी विधायक विनोद भ्याना, मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, एसीएस डॉ़ सुमिता मिश्रा, सीएम के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ़ साकेत कुमार मुख्य रूप से मौजूद रहे।

केस-टू-केस किया गया मंथन

रिपोर्ट तैयार करने से पहले कमेटी ने सभी 62 प्रस्तावों को केस-टू-केस आधार पर परखा। कहां जनसंख्या ज़्यादा है, कहां दूरी समस्या है, किस उपमंडल में लोड बढ़ चुका है, कौन-सी तहसील लंबे समय से मांग उठा रही है… हर पहलू पर गहन मंथन हुआ। यह पहली बार है जब कमेटी ने इतने प्रस्तावों को छांटकर एक समग्र, व्यवस्थित और व्यापक रिपोर्ट तैयार की है। अब यह हरियाणा सरकार के टेबल पर एक ‘कंक्रीट ब्लूप्रिंट’ बनकर जा चुकी है।

पहले से तय हैं ये मापदंड

कमेटी ने हर स्तर, उप-तहसील, तहसील, उपमंडल और जिला के लिए तय मानकों को आधार बनाया। यहां बता दें कि नया जिला बनने के लिए 125 से 200 गांवों का होना जरूरी है। आबादी भी 4 लाख से अधिक होनी चाहिए। 80 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल हो। दूसरे जिला मुख्यालय से दूरी 25 से 40 किमी हो।

वहीं नया उपमंडल बनाने के लिए 40 से अधिक गांव, 2.5 लाख से अधिक जनसंख्या, पर्याप्त क्षेत्रफल व जिला मुख्यालय से 10 किमी या अधिक दूरी होनी जरूरी है। नई तहसील/उप-तहसील के लिए जनसंख्या, गांवों की संख्या, पटवार सर्कल, और दूरी के आधार पर विस्तृत मानक लागू किए गए। यही वजह है कि कई मांगें लोकप्रिय होने के बावजूद मानक पूरे नहीं कर पाईं और कुछ छोटे इलाकों में जिले बनाने की संभावना स्वतः कम हो गई।

31 दिसंबर से पहले फैसला जरूरी

भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त ने साफ कहा है कि जनगणना से पहले प्रशासनिक सीमाओं में बदलाव की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2025 है। अगर तब तक फैसला नहीं लिया गया, तो फिर अगला मौका जून 2027 के बाद ही मिलेगा। इसलिए सरकार पर एक तरह से टाइम-बाउंड डिसीजन लेने का दबाव भी है।

धनखड़ कमेटी से बना था दादरी जिला

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पहले कार्यकाल में कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ की अध्यक्षता में कैबिनेट सब-कमेटी बनी थी। उस कमेटी ने हांसी, गोहाना और चरखी दादरी को जिला बनाने की सिफारिश की थी। लेकिन सरकार ने सिर्फ चरखी दादरी को जिला बनाया। हांसी और गोहाना तब भी उम्मीद में रहे थे और आज भी वही इंतज़ार जारी है। यही वजह है कि इन दोनों क्षेत्रों की जनता की नज़रें अब नायब सिंह सैनी सरकार की ओर टिकी हैं।

मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार प्रशासनिक ढांचे को अधिक प्रभावी बनाने के लिए नई इकाइयों के गठन पर काम किया गया है। सभी प्रस्तावों का गहन अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार कर ली गई है, जिसे अंतिम मंजूरी के लिए सीएम को भेज दिया गया है।

-कृष्ण लाल पंवार, सब-कमेटी चेयरमैन।

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