मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

Haryana News : बेटियों के लिए प्रेरणा बना सफीदों की बेटी निशा का स्टार्टअप

सफ़ीदों, 8 दिसंबर (निस) सफीदों से 15 किलोमीटर दूर गांव हाडवा की 21 वर्षीय बेटी निशा इलाके की बेटियों के लिये प्रेरणा बनी हैं। सफीदों के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री लेकर नौकरी के लिए किसी कोचिंग सेंटर...
सफीदों की निशा अपने वाहन के साथ।-निस
Advertisement

सफ़ीदों, 8 दिसंबर (निस)

सफीदों से 15 किलोमीटर दूर गांव हाडवा की 21 वर्षीय बेटी निशा इलाके की बेटियों के लिये प्रेरणा बनी हैं। सफीदों के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री लेकर नौकरी के लिए किसी कोचिंग सेंटर में जाने की बजाय निशा ने खुद का स्टार्टअप शुरू किया। दरअसल निशा ने घर की आर्थिक हालत को मजबूत करने और आमदनी के लिये किराये पर वाहन चलाने का काम शुरू किया। खुद भी चालक का जिम्मा संभाला और निरन्तर कमजोर हो रही नैतिकता के दौर में निशा दूसरी बेटियों के लिए प्रेरणा बनी है।

Advertisement

उनकी मां सुमनलता ने बताया कि निशा ने छठी कक्षा से ही घर के कामकाज में रुचि लेनी शुरू कर दी थी। वह मेहनती है, निडर है, ईमानदार है। उसने किराया कमाने के लिये कर्ज पर दो वाहन लिए हैं। एक टाटा-एस व एक महिंद्रा पिक-अप। एक को वह खुद तो दूसरे को उसका भाई मनदीप चलाता है।

उसकी मां सुमनलता से जब पूछा गया कि जवान बेटी वाहन को किराए के लिए लेकर घर से निकलती है तो कोई संदेह, कोई संकोच नहीं होता। इस पर, जरूरत पड़ने पर खुद भी गाड़ी चला लेने वाली सुमनलता का कहना था कि बेटी में दम हो और उसके संस्कार अच्छे हों तो कोई डर नहीं है।

वाहन में सामान लेकर जाती हैं निशा

उनके मुताबिक निशा अपने वाहनोें को सामान और सवारियों के लिये किराये के तौर पर देती हैं। मां ने बताया कि निशा के पापा मुकेश देसवाल के दोनों पैरों की नस जाम हो गई थी तो वह बिस्तर पर आ गए थे। उनके पास मात्र पौने दो एकड़ जमीन है।

ऐसी स्थिति में निशा की लगन और पारिवारिक मजबूरियों ने उसके हौसलों को पंख लगा दिए और आज स्थिति यह है कि गांव में शुरू में जो लोग बेटी को मर्दों जैसे काम करते देख मन ही मन निंदा करते थे वही लोग आज निशा पर गर्व व्यक्त करते हैं। निशा ने बताया कि उसमें खुद की मेहनत से कुछ करने का जुनून है और इसे हवा उसकी मां ने हौसले के रूप में दी है।

निशा कहती है कि वह ग्रेजुएट है। कोई ठीक सी सरकारी नौकरी मिले तो उसे परहेज भी नहीं लेकिन नौकरी की उम्मीद में वह अपनी मेहनत की लीक से नहीं हटेगी। उसने बताया कि उसका पहला सपना अपनी कमाई से थार गाड़ी लेने का है।

उनका कहना है कि आने वाले वक्त में वे अपने इस स्टार्टअप को और विस्तार देंगी।

Advertisement
Show comments