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Haryana News : एमएसएमई को समर्थन की आवश्यकता पर जोर, हिसार को बताया उभरती सिलिकॉन वैली

गुजविप्रौवि में ‘विकसित भारत 2047 पर पैनल चर्चा
गुजविप्रौवि में बृहस्पतिवार को सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन लैबोरेटरी का दौरा करते नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी, प्रो. चरण सिंह व कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।-हप्र
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हिसार, 28 नवंबर (हप्र)

गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के अर्थशास्त्र विभाग के सौजन्य से ‘विकसित भारत 2047 : राज्य स्तरीय अर्थव्यवस्थाओं में रणनीतियां’ विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन में पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। अंतिम सत्र नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी और प्रो. चरण सिंह के साथ हिसार के उद्योग जगत के नेताओं और नीति निमार्ताओं के बीच एक संवाद के रूप में आयोजित किया गया। इस सत्र में नीति और उद्योग के बीच के संबंधों पर चर्चा हुई, जहां नीति आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने राज्य स्तर की अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण में उद्योग की भूमिका और दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सार्वजनिक-निजी साझेदारी के महत्व पर विचार साझा किए।

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ई-ग्रो फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रो. चरण सिंह ने हिसार को उभरती सिलिकॉन वैली के रूप में देखा और कहा कि लॉबिंग की क्षमता की कमी उद्योगपतियों की एक बड़ी समस्या है। उन्होंने एमएसएमई को समर्थन देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उद्योगपति भारत के एलन मस्क हैं।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने उद्योग की मांग के अनुसार कौशल को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के बीच विचारों और सहयोग का एक प्रभावी मंच प्रदान करता है और प्रतिभागियों को 2047 तक विकसित भारत की दृष्टि में योगदान देने का नया उत्साह देता है।

चर्चा में हिसार के उद्योगपतियों के समक्ष आने वाली विभिन्न समस्याओं पर ध्यान केंद्रित किया गया। प्रमुख मुद्दों में जल जैसी नागरिक सुविधाएं, श्रमिक समस्याएं, कौशल अंतराल, पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करने में कठिनाई, सरकारी धन का समय पर वितरण न होना और भूमि की कीमतों में वृद्धि, बिजली आदि जैसे वाणिज्यिक क्षेत्रों में उच्च प्रारंभिक लागत शामिल थी।

सत्र के दौरान एक सदस्य ने कहा कि उद्योगपति अपराधी नहीं हैं और सुरक्षा कानूनों को डी-क्रिमिनलाइज (अापराधिक प्रक्रियाओं को सरल) करने की मांग की। एक अन्य प्रमुख मुद्दा श्रमिक समस्या पर चर्चा थी, जहां दोनों पक्षों ने अपने विचार साझा किए। डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा कि कौशल अंतराल एक बहु-स्तरीय समस्या है। वहीं, अन्य हितधारकों ने अधिक कौशल केंद्र खोलने की मांग की।

डॉ. अरविंद विरमानी व प्रो. चरण सिंह ने सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन लेबोरेटरी व अन्य मुख्य प्रयोगशालाओं का दौरा भी किया। अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. एन.के. बिश्नोई ने सभी वक्ताओं, पैनलिस्टों और उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया।

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