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11 दिसंबर को हरियाणा नगर निकायों की ‘बड़ी क्लास’

अधूरी परियोजनाओं, गंदगी और ढिलाई पर होगी सीधी कार्रवाई

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मुख्यमंत्री नायब सैनी।
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हरियाणा सरकार अब नगर निकायों की सुस्त रफ्तार से तंग आ चुकी है। शहरों की गंदगी, अधूरी पड़ी सड़कें, धीमी विकास योजनाएं और कागज़ी रिपोर्टों से नाराज़ सरकार ने अब कड़ा रुख अपनाते हुए 11 दिसंबर को चंडीगढ़ स्थित हरियाणा निवास में बड़ी समीक्षा बैठक बुला ली है। आदेश साफ हैं कि अब सिर्फ फाइलों में आंकड़े नहीं, बल्कि जमीन पर हुआ काम ही चलेगा।

इस अहम बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के प्रधान सचिव और शहरी स्थानीय निकाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुण कुमार गुप्ता करेंगे। सभी नगर निगमों व नगर परिषदों को अपनी-अपनी वास्तविक प्रगति रिपोर्ट लेकर उपस्थित होना अनिवार्य किया गया है। विभागों को 10 दिसंबर सुबह 11 बजे तक प्रस्तुति जमा करने के दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

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समय पर रिपोर्ट न देने पर रिकॉर्ड में स्पष्ट उल्लेख होगा ‘प्रस्तुति उपलब्ध नहीं’, जो आगे कार्रवाई का आधार बनेगा। बैठक में एक-एक लंबित प्रोजेक्ट की स्थिति पर सवाल पूछे जाएंगे। कई सालों से अधर में लटके इन मदों पर जवाबदेही तय होगी। स्वामित्व योजना के लंबित मामलों, सफाई व्यवस्था, कचरा निस्तारण और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर मुख्य फोकस रहेगा।

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बैठक में अवैध विज्ञापनों पर रोक और नई नीति, निगम संपत्तियों का उपयोग, किराया वसूली और राजस्व प्रबंधन, आवारा पशुओं पर नियंत्रण व जल निकासी सुधार, स्ट्रॉम वाटर ड्रेनेज सिस्टम की वास्तविक स्थिति, सामुदायिक भवन तथा पुस्तकालय और सार्वजनिक स्थलों के विकास को लेकर रिपोर्ट भी ली जाएगी और आगे का रोडमैप भी तैयार होगा।

मुख्यालस ने अधिकारियों की अनिवार्य फील्ड विजिट अनिवार्य कर दी है। इससे जुड़ी रिपोर्ट भी मांगी गई है। इसके अलावा मशीनों की उपलब्धता, कर्मचारियों की कमी, पारदर्शी टैगिंग सिस्टम और नागरिक शिकायत निवारण की स्थिति भी बारीकी से जांची जाएगी। यह बैठक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा पूर्व में ली गई बैठक में लिए गए फैसलों की समीक्षा करने के लिए बुलाई गई है।

स्वच्छता, कचरा प्रबंधन और प्रदूषण पर स्पेशल फोकस

हरियाणा स्वच्छता अभियान 2025 को मजबूत बनाने के लिए बैठक में गार्बेज वल्नरेबल पॉइंट्स हटाने, कचरा वाहनों की संख्या बढ़ाने, कचरा प्रबंधन इकाइयों की क्षमता, और शिकायतों पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट अनिवार्य रूप से मांगी गई है। वायु प्रदूषण नियंत्रण पर भी विस्तृत समीक्षा होगी। जीआरएपी लागू करने, एंटी-स्मॉग गनों, पानी के छिड़काव और डीजल वाहनों की निगरानी पर स्पष्ट प्रगति बतानी होगी।

सिर्फ दफ्तर में बैठकर काम नहीं चलेगा

मीटिंग नोटिस के अनुसार, हर अधिकारी को अपनी क्षेत्रीय विजिट का पूरा रिकॉर्ड पेश करना होगा, कब, कहां और क्या स्थिति मिली। सरकार चाहती है कि अधिकारी जमीन पर जाकर समस्याएं देखें, न कि केवल फाइलों पर हस्ताक्षर करके रिपोर्ट तैयार कर दें। सरकार की ओर से जारी नोटिस और एजेंडा से एक संदेश बेहद स्पष्ट है कि अब न ढिलाई चलेगी, न पुरानी आदतें। बैठक के बाद देरी करने वाले अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। विकास योजनाओं की स्पीड बढ़ाने के लिए सरकार अब ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ मोड में है, जो काम करेगा वही टिकेगा, और जो लापरवाही करेगा वह सीधे जिम्मेदारी के घेरे में आएगा।

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