दिनेश भारद्वाज
चंडीगढ़, 12 मार्च
दिल्ली बॉर्डर पर लगभग साढ़े तीन महीनों से आंदोलनरत किसानों के बीच राज्य की गठबंधन भाजपा-जजपा सरकार ने खेती और किसानी को लेकर अपना विजन स्पष्ट कर दिया है। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने सरकार के वार्षिक बजट में स्वास्थ्य के साथ खेत और किसान को एजेंडे में टॉप पर रखा है। किसानों के लिए नयी योजनाओं के साथ उनकी आय बढ़ाने का संकल्प दोहराया है। किसानों के खेतों को भी सुधारा जाएगा और परंपरागत खेती छोड़ने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा। किसानों की सुविधा के लिए सरकार ने 1000 किसान एटीएम स्थापित करने का निर्णय लिया है। यह सुविधा उन गांवों में होगी, जहां बैंक नहीं हैं। इतना ही नहीं, किसानों के वित्तीय प्रबंधन में ‘किसान मित्र’ सहयोग करेंगे। पिछले साल सरकार ने किसान मित्र योजना की शुरूआत की थी। किसान मित्र अब किसानों को वित्तीय मैनेजमेंट के बारे में जागरूक करेंगे। वे उन्हें बताएंगे कि कब और कितना पैसा निकाला जाए। सरकार ‘हर खेत-स्वस्थ खेत’ नामक विशेष अभियान चलाएगी। अभी तक गांवों से ही मिट्टी के सैम्पल लेकर उनकी टेस्टिंग होती थी, लेकिन अब सरकार हर किसान के खेत का सैम्पल लेगी ताकि जमीनों की उपजाऊ क्षमता बढ़ाई जा सके। हर खेत से लिए गए सैम्पल को मेरी फसल-मेरा ब्यौरा योजना के साथ कनेक्ट किया जाएगा। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि मिट्टी की जांच के बाद किसानों को यह बताया जाएगा कि उनकी मिट्टी में कौन सी पैदावार अच्छी हो सकती है। कृषि उत्पाद संगठनों की स्थापना और इसके तंत्र का विस्तार होगा। मार्च-2021 तक 500 किसान उत्पादन संगठन स्थापित करने का लक्ष्य रखा था। अभी तक 486 संगठन बनाए जा चुके हैं। अब सरकार ने मार्च-2022 तक 1000 किसान उत्पादक संगठन स्थापित करने का टारगेट तय किया है।
100 कम्प्रेस्ट बायो-गैस प्लांट लगेंगे
किसानों के फसली अवशेष की समस्या का समाधान भी सरकार ने खोज लिया है। पेट्रोलियमं मंत्रालय के सहयोग से राज्य में 100 कम्प्रेस्ड बायो गैस तथा बायो-मास प्लांट स्थापित होंगे। इन प्लांट्स में धान की पराली की आपूर्ति के लिए कैचमेंट एरिया उपलब्ध करवाने को धान उत्पादक गांवों की मैचिंग सरकार ने शुरू करवा दी है।
धान उत्पादक छोड़ने पर मिलेंगे 7000
प्रदेश में लगातार गहरा रहे जल संकट को देखते हुए धान की खेती कम करने की योजना है। ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के तहत इस साल 97 हजार एकड़ जमीन में धान की जगह कपास, मक्का, बाजरा, दाल व चना आदि की खेती हुई। इस साल 2 लाख एकड़ जमीन में धान की जगह दूसरी खेती का टारगेट है। धान उत्पादन छोड़ने वाले किसानों को सरकार 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देगी। साथ ही, उनकी फसलों की खरीद की गारंटी रहेगी।
जीरो बजट, जैविक व प्राकृतिक खेती
खेतों में कीटनाशकों का कम से कम इस्तेमाल करने के लिए सरकार जीरो बजट खेती तथा जैविक व प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी। पिछले साल यह योजना लागू की थी लेकिन कोरोना की वजह से बीच में अटक गई। इस साल सरकार ने 3 लाख एकड़ भूमि को जीरो बजट व जैविक खेती में बदलने का प्लान बनाया है। इसके लिए राज्य में 7-8 जगहों पर किसानों के ट्रेनिंग कैम्प लगेंगे। गुजराज के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जीरो बजट खेती पर काम कर रहे हैं।
एमएसपी पर खरीदी जाएंगी फसलें
बजट में सीएम ने स्पष्ट कर दिया है कि आगे भी फसलों की खरीद एमएसपी पर ही होगी। मक्का, सूरजमुखी, मूंग, चना और मूंगफली की खरीद की नीति को जारी रखते हुए फसलों के विविधीकरण के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी करेगी। गेहूं, धान, सरसों, बाजरा जैसी फसलों की खरीद भी पहले की तरह ही होगी। राज्य में कृषि उत्पाद के अतिरिक्त भंडारण के लिए 6.60 लाख टन क्षमता के साइलॉज का निर्माण होगा।