हिसार, 1 अप्रैल (निस)
चौधरी चरण हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय किसानों को सब्जियों की ग्राफ्टेड तकनीक से तैयार पौध उपलब्ध करायेगा। इसके लिए विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग में वेजिटेबल ग्राफ्टिंग यूनिट स्थापित की जा रही है। इस विधि से किसानों को बिना रसायन के प्रयोग किये मृदा जनित बीमारियों व नेमाटोड (सूत्रकृमि) की समस्या से राहत मिलेगी। वेजिटेबल ग्राफ्टिंग यूनिट की स्थापना पर एक करोड़ 75 लाख की राशि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ्तार परियोजना के तहत खर्च की जाएगी। इस यूनिट के तहत ग्राफ्टिंग करने के लिए हाइटेक ग्रीन हाउस सहित 9 ढांचों का निर्माण किया जाएगा।
इस परियोजना में विभागाध्यक्ष डॉ. एके भाटिया, डॉ. वीके बत्तरा और सहायक वैज्ञानिक डॉ. कुलदीप भी अनुसंधान कार्य में सहयोग कर रहे हैं। इस तकनीक से किसानों की आय बढ़ायी जा सकती है और सब्जी उत्पादकों को भी विशेष लाभ होगा।
बागवानी की अनूठी तकनीक है ग्राफ्टिंग : वेजिटेबल ग्राफ्टिंग प्रोजेक्ट की परियोजना अधिकारी डॉ. इंदु अरोड़ा ने बताया कि ग्राफ्टिंग एक अनूठी बागवानी तकनीक है, जिसका उपयोग दुनियाभर में संरक्षित खेती में निमाटोड व मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारियों को दूर करने के लिए या विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुसार पौधे की शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है। वर्तमान समय में इसका महत्व बढ़ गया है। क्योंकि फसल चक्र या मिट्टी के धूमन के विकल्प सीमित हैं।