नवीन पांचाल/हप्र
गुरुग्राम, 11 अप्रैल
गुरुग्राम और फरीदाबाद महानगरों में विकास कार्यों की बागडोर अब रिटायर्ड कर्मचारियों के हाथों में नहीं रहेगी। दोनों शहरों में विकास का खाका सरकार के स्थाई कर्मचारी खीचेंगे। सरकार दोनों जिलों के महानगर विकास प्राधिकरणों में शहरी स्थानीय निकायों की भांति कर्मचारियों व अधिकारियों की नियुक्त करने की योजना बना रही है। सितंबर 2016 में प्रदेश में सबसे पहले गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) का गठन किया गया था। इसके दो साल बाद अगस्त 2018 में फरीदाबाद में भी महानगर विकास प्राधिकरण (एफएमडीए) का गठन हुआ। दोनों विकास प्राधिकरणों के गठन के सालों बाद भी इनकी बागडोर (कुछ महत्वपूर्ण पदों को छोड़कर) रिटायर्ड कर्मचारियों के हाथों में है। दोनों ही प्राधिकरणों के पास कोई स्थाई स्टाफ नहीं है। जो रिटायर्ड कर्मचारी सरकार ने प्राधिकरणों में काम के लिए लगाए हैं उनकी कार्य क्षमता से लेकर जिम्मेदारी समेत तमाम विषयों पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। रिटायर्ड कर्मचारियों पर पगार समेत दूसरे मदों में करोड़ों रुपये सालाना खर्च करने के संबंध में आरटीआई से जानकारी जुटाने वाले एडवोकेट अभय जैन कहते हैं कि रिटायर्ड कर्मचारियों के अनुभव का लाभ दूसरे तरीकों से लिया जा सकता है लेकिन नियमित कार्य के लिए जीएमडीए व स्थानीय निकायों के पास अपने कर्मचारी जरूर होने चाहिए।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता राजेश यादव ने आरोप लगाया कि नेता अपने चहेतों को रिटायरमेंट के बाद एडजेस्ट करवा देते हैं। इससे महानगर विकास प्राधिकरण जैसे संस्थान की नींव कमजोर होती है क्योंकि रिटायर्ड कर्मचारी अपने अनुबंध अवधि तक का ही विजन बनाते हैं।
अकेले जीएमडीए में 200 से ज्यादा कर्मचारी व अधिकारी काम कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर कर्मी रिटायर्ड ही हैं तथा कुछ कर्मचारियों को दूसरे विभागों से डेपुटेशन पर लाया गया है।
कम होगी कंसल्सटेंसी की जरूरत
जीएमडीए अपने कार्यों के लिए कंसल्सटेंसी एजेंसियों का भी सहारा लेती है। इसके लिए कंसल्सटेंसी एजेंसियों को भारी भरकम भुगतान किया जाता है। यही हालात एफएमडीए के भी हैं। जीएमडीए के एक अधिकारी का कहना है कि नियमित स्टाफ की नियुक्ति के बाद कंसल्सटेंसी की जरूरत तो कम होगी ही जिम्मेदारी भी निर्धारित की जा सकेगी।
जीएमडीए का गठन प्रदेश में अपनी तरह का पहला प्रयोग था। अब हरियाणा में दो शहरों के पास अपने अलग महानगर विकास प्राधिकरण हैं। इसलिए अब इन प्राधिकरणों में स्टाफ की नियुक्ति स्थानीय निकायों की तर्ज पर किए जाने की व्यवस्था की जाएगी। इससे रिटायर्ड कर्मियों को लगाने से मुक्ति मिल सकेगी। -मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री, हरियाणा