अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 26 अप्रैल
कोरोना के फैलाव के चलते स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा निजी अस्पतालों के चिकित्सकों की सेवाएं स्थानीय सरकारी अस्पताल में लेने के आदेशों के बाद निजी अस्पतालों में भी स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने लगी हैं।
भिवानी के सरकारी अस्पताल में आमतौर पर भी चिकित्सकों व अन्य स्टाफ की भारी किल्लत बनी रहती है, लेकिन अब कोरोना कहर के चलते इस कमी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। यहां 6 माह पूर्व दिलवाए गए 10 में 6 वेंटिलेटर भी डिब्बों में बंद पड़े हैं। चार वेंटिलेटर काम कर रहे हैं जिन्हें चलाने के लिए केवल एक ही विशेषज्ञ चिकित्सक है और उनकी ड्यूटी के बाद इन्हें स्टाफ नर्सों द्वारा ही चलाया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा भिवानी निजी अस्पतालों के लगभग सभी चिकित्सकों की ड्यूटियां सरकारी अस्पताल में लगाई गई हैं। ये चिकित्सक 2 से 4 घंटे यहां ड्यूटी देंगे। स्वास्थ्य विभाग के इस फैसले का असर शहर की निजी स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ना लाजमी है।
रेमेडिसिवर टीकों भी भारी समस्या : रेमेडिसिवर टीकों को लेकर भी भारी समस्या बनी हुई है। सरकार द्वारा रेमेडिसिवर टीकों के आवंटन के लिए तीन चिकित्सकों की कमेटी तो बना दी गई है लेकिन कोरोना पीड़ितों को इसकी सही ढंग से सूचना न होने के कारण उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं।
विशेषज्ञों की राय
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि विभाग को निजी अस्पतालों को डिस्टर्ब करने की बजाय विभाग में कार्यरत आयुष विभाग के चिकित्सकों व सीएचसी, पीएचसी चिकित्सकों की सेवाएं लेनी चाहिए जिनकी संख्या 100 से अधिक है। वहीं, लोगों का कहना है कि अगर स्वास्थ्य विभाग ने अपनी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं किया तो इससे स्थिति न केवल बेकाबू हो जाएगी बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा जाएंगी।