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अरावली, शिवालिक की पहाड़ियों पर पर्यटन बढ़ाने में जुटी सरकार

पिंजौर में अब पर्यटक उठा सकेंगे हॉट एयर बैलून सफारी का आनंद

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चंडीगढ़, 6 नवंबर (ट्रिन्यू)

हरियाणा सरकार ने प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ी योजनाएं तैयार की हैं। मोरनी हिल्स में एडवेंचर गतिविधियों के बाद अब गेटवे ऑफ हिमाचल यानी पिंजौर में पर्यटकों को यहां के ऐतिहासिक गार्डन के साथ एक और एडवेंचर करने का मौका मिलेगा। सरकार पिंजौर में हॉट एयर बैलून सफारी शुरू करने जा रही है। 8 नवंबर को सीएम मनोहर लाल खट्टर इसका शुभारंभ करेंगे।

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इससे पहले मोरनी हिल्स के पास टिक्करताल क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग, वाटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी, जेट स्कूटर, पैरासेलिंग औऱ ट्रेकिंग जैसे एडवेंचर खेलों की शुरुआत सरकार कर चुकी है। इसी कड़ी में हॉट एयर बैलून सफारी की शुरुआत होगी। इससे एक ओर जहां पर्यटकों को पहले से चल रही पर्यटन की गतिविधियों के अलावा उनकी यात्रा में नया अनुभव साझा करने को मिलेगा तो वहीं पिंजौर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से भी अवगत हो सकेंगे। पिंजौर का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है। इसे महाभारत कालीन स्थल भी माना जाता है। यह स्थल अपने भीतर हजारों वर्ष पुराने प्राचीन इतिहास को संजोए हुए है। यहां जगह-जगह प्राचीन इतिहास के अवशेष विद्यमान हैं। ऐसी मान्यता है कि पांडवों ने अपने वनवास के दौरान अज्ञातवास का एक बड़ा समय यहां बिताया था। इसके प्रमाण आज भी पिंजौर में देखने को मिलते हैं। इतना ही नहीं, यहां स्थित यादविंद्रा गार्डन (पिंजौर गार्डन) भी है, जो मुगल गार्डन शैली का एक उदाहरण है।

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सरकारी प्रवक्ता ने सोमवार को यहां बताया कि मुख्यमंत्री ने यमुनानगर में सांस्कृतिक रूप से पहचान रखने वाले व धार्मिक स्थलों - आदीबद्री, लोहगढ़, कपालमोचन, माता मंत्रा देवी सहित अनेक स्थलों को विकसित करने की भी विशेष कार्ययोजना तैयार की है। पवित्र सरस्वती नदी के उद्गम स्थल आदीबद्री को नई पहचान दिलाने की कड़ी में कई प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है। मुख्यमंत्री ने सरस्वती हेरिटेज बोर्ड का भी गठन किया है। साथ ही, यहां बाबा बंदा सिंह बहादुर की राजधानी लोहगढ़ को भी पर्यटन के तौर पर विकसित किया जा रहा है।

मोरनी हिल्स बन रहा आकर्षण का केंद्र

हरियाणा में पर्यटन को और अधिक बढ़ावा देने व पंचकूला के मोरनी हिल्स में इको-टूरिज्म को बढ़ाने के लिए वाटर स्पोर्ट्स गतिविधियों के अलावा ट्रैक, माउंटेन बाइकिंग ट्रैक और कई अन्य गतिविधियों की भी पहचान की गई है। साथ ही, मोरनी हिल्स में इको-टूरिज्म को बढ़ाने के लिए वन विभाग को भी जोड़ा गया है। विभाग की ओर से इको-टूरिज्म इवेंट कैंपिंग साइट, ऑफ-रोड ट्रेवलिंग, हर्बल वाटिका की यात्रा इत्यादि की शुरुआत की है।

शिवालिक व अरावली से पहचान

वनों की दृष्टि से हरियाणा में शिवालिक व अरावली पर्वत शृंखलाएं हैं। सरकार ने कालका से कलेसर तक के क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की भी योजना बनाई है। इसके लिए लगभग 1200 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है। अरावली पर्वत शृंखला पर पड़ने वाले ढोसी के पहाड़ को भी तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां पर चवन ऋषि जैसे महान तपस्वी हुए हैं। इसलिए इसकी अपनी आध्यात्मिक पहचान भी है। यहां एयरो स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए भी पैराग्लाइडिंग की संभावनाओं का अध्ययन किया जा रहा है। महेंद्रगढ़ में माधोगढ़ में बना किला भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। प्रदेश सरकार गुरुग्राम व नूंह जिलों की 10 हजार एकड़ भूमि पर दुनिया का सबसे बड़ा जंगल सफारी पार्क विकसित कर रही है।

कल से यमुनानगर में 6 स्थानों पर सीएम का जनसंवाद

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर 8 व 9 नवंबर को यमुनानगर जिले में जनसंवाद करेंगे। दो दिन यमुनानगर प्रवास के दौरान सीएम 6 स्थानों पर जनसंवाद कार्यक्रम में लोगों से रूबरू होंगे और सीधे संवाद में उनकी समस्याएं सुनेंगे। साथ ही ही, मुख्यमंत्री लोगों से जमीनी स्तर पर सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन संबंधी जानकारी भी लेंगे। 8 नवंबर को दोपहर 12 बजे मुख्यमंत्री गांव प्रतापनगर से जनसंवाद कार्यक्रमों की शुरुआत करेंगे। दोपहर बाद 3 बजे गांव छछरौली में तथा सायं 5 बजे जगाधरी शहर में जनसंवाद कार्यक्रम होंगे। 9 नवंबर को सुबह साढ़े 9 बजे गांव पावनीकलां में पहला जनसंवाद करेंगे। इसके बाद गांव बिलासपुर में साढ़े 11 बजे तथा दोपहर बाद ढाई बजे सढ़ौरा टाउन में जनसंवाद कार्यक्रम होगा। सरकारी प्रवक्ता का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा विगत 9 वर्षों में ग्राम विकास पर मुख्य फोकस करते हुए शुरू की गई विभिन्न पहलों का सकारात्मक परिणाम आज धरातल पर दिख रहा है। सरपंच स्वयं जनसंवाद कार्यक्रमों में सरकार की योजनाओं पर मुहर लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री भी जनसंवाद कार्यक्रमों में छोटी सरकारों के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को तरजीह देते हुए सरपंचों के साथ मंच साझा कर रहे हैं। उनके इस भाव से महिला सरपंचों का भी आत्मविश्वास बढ़ा है और वे गांवों के विकास हेतु और अधिक उत्साह से कार्य कर रही हैं। इन कार्यक्रमों में सरपंच स्वयं बता रहे हैं कि राज्य सरकार द्वारा पंचायतों को दी गई स्वायत्तता का उन्हें बहुत लाभ हो रहा है और वे अपने स्तर पर विकास कार्य करवाकर गांवों को नई पहचान दिला रहे हैं।

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