सोनीपत, 30 नवंबर (निस)
आंदोलन स्थल से घर वापसी की तैयारी की खबरों को पंजाब की 32 जत्थेबंदियों ने सिरे से नकार दिया है। लगातार दूसरे दिन कुंडली बॉर्डर पर बैठक कर जत्थेबंदियों ने साफ किया है कि वे घर तो जाना चाहते हैं, लेकिन अधूरी मांगों के साथ नहीं। साथ ही उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की सहमति के बिना यहां से कोई नहीं जाएगा। जत्थेबंदियों ने सरकार को साफ तौर पर कहा कि यदि प्रधानमंत्री को भेजे खुले खत में लिखी गई उनकी अन्य सभी मांगों पर सरकार आज घोषणा कर देगी तो वे कल ही यहां से चले जाएंगे, लेकिन यदि मांगें पूरी नहीं की गई तो वे यहीं डटे रहेंगे। वहीं, बुधवार को कुंडली बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के सभी 41 सदस्य जुटेंगे और बैठक कर आगामी रणनीति बनाएंगे।
सोमवार को जत्थेबंदियों की बैठक के बाद से यह कयास लगाए जाने लगे थे कि चूंकि संसद में कृषि कानून वापसी बिल पास हो गया है तो पंजाब की जत्थेबंदियां घर जाने की तैयारी में हैं। ऐसे में सभी 32 जत्थेबंदियों ने लगातार दूसरे दिन मंगलवार को अचानक बैठक बुलाई। बैठक के बाद जत्थेबंदियों के प्रमुख अवतार सिंह, मंजीत राय ने साफ किया कि वे मांगें पूरी होने से पहले वे कहीं नहीं जा रहे। उन्होंने कहा कि सरकार से जुड़े लोग एक षड्यंत्र के तहत वापसी की अफवाह फैला रहे हैं। सरकार को एमएसपी गारंटी कानून, किसानों पर बनाये मुकद्दमे वापसी, मुआवजा, बिजली बिल कानून समेत सभी 6 मांगों को मानना होगा और इन्हें पूरा करने की घोषणा करनी होगी। इसके बाद ही वे आंदोलन वापस लेने के बारे में विचार करेंगे। किसान नेता अवतार सिंह ने कहा कि किसानों के साथ-साथ एनआईए ने किसानों के साथ खड़े होने वाले आढ़तियों, सेवादारों, व्यापारियों और पत्रकारों पर भी झूठे मुकद्दमें बनाए हुए हैं। उन पर दर्ज मुकद्दमें भी वापस होने चाहिए।
सभी 6 मांगें हों पूरी
जत्थेबंदियों ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक 1 दिसंबर, बुधवार को है, जिसमें सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी और आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। संयुक्त मोर्चा की मांग है कि सरकार सभी 6 मांगों को पूरा करे। सरकार के अगले कदम के बाद संयुक्त मोर्चा जो निर्णय लेगा, उसी के अनुसार कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा, दिल्ली, पंजाब समेत कई राज्यों में किसानों पर मामले दर्ज हैं, जिन्हें शीघ्र वापस लेना होगा।
‘सरकार से चाहिए स्पष्ट व ठोस आश्वासन’
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि 4 दिसंबर की पूर्व घोषित बैठक भी होगी और उसमें आंदोलन को लेकर अगली रणनीति बनाई जाएगी। बैठक में प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उठाये बिंदुओं और ताजा हालात पर मंथन होगा। बैठक में सभी घटक संगठन शामिल होंगे। एसकेएम ने कहा कि किसानों की लंबित मांगों पर भाजपा सरकारों द्वारा यहां-वहां अस्पष्ट बयान या आश्वासन स्वीकार नहीं बल्कि लंबित मांगों पर ठोस आश्वासन और समाधान चाहता है। संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति के सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पहले ही संकेत दे चुके हैं कि जब उनके राज्य में 48 हजार किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने की बात आती है, तो वह केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई करेंगे। ऐसे में मोदी सरकार किसानों के शेष मांगों को पूरा करने की अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है। दर्शनपाल ने कहा दिसंबर-2020 में सरकार ने किसानों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत में प्रतिबद्धता जताई थी मगर मौजूदा संसद सत्र में विद्युत संशोधन विधेयक 2021 को सूचीबद्ध किया जाना वायदा खिलाफी है। ऐसा ही मामला दिल्ली के वायु प्रदूषण के संबंध में बायोमास जलाने के लिए किसानों को दंडित करने का है। अविश्वसनीय व्यवहार के चलते यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि किसान किसी भी मौखिक बयान पर सरकार पर भरोसा क्यों नहीं करेंगे।
दुष्यंत चौटाला के आज के दौरे का करेंगे विरोध
उचाना/जींद (हप्र) : संयुक्त किसान मोर्चा के धरने पर मंगलवार को किसान पंचायत का आयोजन खेड़ा खाप प्रधान सतबीर शर्मा कसूहन की अध्यक्षता में किया गया। पंचायत एक दिसंबर को दरोलीखेड़ा में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर हुई। दुष्यंत चौटाला की एंट्री न हो, पंचायत में इसको लेकर रणनीति बनाई गई। इस अवसर पर ग्रामीण भी धरने पर पहुंचे भाकियू (चढ़ूनी) के जिलाध्यक्ष आजाद पालवां ने कहा कि धरना बुधवार को उचाना खुर्द से दरोली खेड़ा रोड पर माता मंदिर के पास दिया जाएगा। दरोली खेड़ा गांव में चार रास्ते आते हैं। इन चारों रास्तों को किसान बंद करेंगे ताकि डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की गांव में एंट्री न हो।