चंडीगढ़, 9 अप्रैल (ट्रिन्यू)
हरियाणा में नौवीं से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने पर सालाना 350 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सीएम मनोहर लाल खट्टर द्वारा बजट में की गई घोषणा को पूरा करने तथा प्रदेश में नयी शिक्षा नीति को लागू करने के लिए शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर की अध्यक्षा में शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों की बैठक हुई। अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नौंवी तथा दसवीं कक्षा में एक लाख 82 हजार 419 लड़के तथा एक लाख 92 हजार 16 लड़कियां हैं।इनकी वर्दी पर प्रति बच्चा 1300 रुपये, स्कूल बैग पर 400 रुपये और स्टेशनरी पर 500 रुपये खर्च आएगा। इसके अलावा 1000 रुपये स्कूल फीस और मिड-डे मिल पर 2115 रुपये खर्च होगा। लगभग एक बच्चे पर 5315 रुपये खर्च होंगे। 3 लाख 74 हजार 435 बच्चों पर सालाना 199.01 करोड़ रुपये खर्च होगा। इसी तरह से 11वीं और 12वीं में लड़कों की संख्या एक लाख 16 हजार 359 और लड़कियों की एक लाख 28 हजार 462 है।
इनकी वर्दी पर प्रति बच्चा 1500 रुपये, स्कूल बैग 500 रुपये और स्टेशनरी पर 600 रुपये खर्च आएगा। 1200 रुपये फीस और 2350 मिड-डे मिल पर खर्च होगा। यानी प्रति बच्चा 6150 रुपये खर्च आएगा, जो 244821 बच्चों पर सालाना 150.56 करोड़ रुपये खर्च होगा। सरकार का इन 4 कक्षाओं पर कुल 349.57 करोड़ रुपये सालाना खर्च होगा। हरियाणा में नयी शिक्षा नीति को लागू करने के लिए गठित की गई 10 कमेटियों ने भी सिफारिशें दे दी हैं। प्रदेश सरकार वर्ष 2025 तक नयी शिक्षा नीति को लागू करने की तैयारी में है। इस नीति के तहत ड्रापआउट बच्चों की संख्या को कम किया जाएगा। चूंकि दसवीं में आने के बाद ड्रापआउट रेट अधिक हो जाता है, इसलिए इसे कम करने के लिए निशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया गया है। विशेष शिक्षा जोन के दायरे में आएंगे 10 खंड शिक्षा में पिछड़े क्षेत्रों जहां अनुसूचित जाति की संख्या ज्यादा है। ऐसे क्षेत्र जहां महिला साक्षरता दर कम है। ऐसे क्षेत्र जहां प्रवासी मजदूरों की संख्या अधिक है। अर्बन और स्लम इन बिंदुओं के आधार पर ऐसे खंडों की पहचान की जाएगी। पहले चरण में प्रदेश के 10 खंडों को चुना जाएगा। इन्हें विशेष शिक्षा जोन के दायरे में लाया जाएगा और वहां ऐसे प्रोजेक्ट चलाए जाएंगे जो दाखिला बढ़ाने में प्रोत्साहन दें। विद्यार्थी विशेषकर लड़कियों के स्कूल में ठहराव भी बढ़ेंगे।