तरुण जैन/निस
रेवाड़ी, 30 जनवरी
दिल्ली-जयपुर हाईवे स्थित रेवाड़ी सीमा से लगते राजस्थान बॉर्डर जयसिंहपुर खेड़ा पर बैठे किसानों ने कहा है कि जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होंगे, तब तक न तो धरना समाप्त करेंगे और न ही घर लौटेंगे।
शनिवार को धरनारत किसानों ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उपवास रखा और तिरंगा यात्रा निकाली। यह यात्रा राजस्थान सीमा में ही निकाली गई। यात्रा के समापन के बाद किसानों ने अपना उपवास खोला। इस मौके पर किसान नेता अमराराम, राजाराम मील, पेमाराम, पवन दुग्गल, बलबीर छिल्लर, रामकिशन महलावत ने कहा कि तिरंगा यात्रा में सैकड़ों आंदोलनकारी महिला व पुरुषों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि उनके आंदोलन को बदनाम व खत्म करने के लिए सरकार हर तरह के हथकंडे अपना रही है। हम शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठे हैं। हमें ग्रामीणों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। केंद्रीय नेतृत्व का जो भी निर्देश उन्हें मिलेगा, उसी अनुसार फैसला लिया जाएगा।
हाईवे खुलवाने के लिए स्थानीय ग्रामीण भी लामबंद
इधर, किसानों के आंदोलन के चलते जाम दिल्ली-जयपुर हाईवे को खुलवाने के लिए स्थानीय ग्रामीण लामबंद हो चुके हैं। उन्होंने रोड खाली करने के लिए किसानों को रविवार तक का समय दिया है। जिला पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के प्रधान अनिल यादव ने कहा कि धरने पर बैठे किसानों को स्थानीय किसानों व ग्रामीणों का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। यहां केवल राजस्थान व अन्य राज्यों के किसान बैठे हुए हैं। इन किसानों को राजस्थान सरकार व पुलिस का पूरा संरक्षण मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को ट्रेक्टर परेड के लिए गए किसान नेताओं को जब दिल्ली ही जाना था तो वे वापस ही क्यों आए। उन्हें मानेसर में ही धरने पर बैठ जाना चाहिए था। ताकि यहां से हाईवे खाली हो जाता और लोगों का रोजगार शुरू हो जाता।