सोनीपत, 7 अप्रैल (हप्र)
दिल्ली के मुकरबा चौक से लेकर पानीपत तक नेशनल हाईवे एक (अब 44) को 12 लेन किए जाने का काम फिर से अधर में लटक गया है। इस बार काम लटकने की वजह किसानों का कुंडली बॉर्डर पर चल रहा धरना है। इसकी वजह से करीब 20 किलोमीटर तक हाईवे का निर्माण प्रभावित हो रहा है, तो 5 ऐसे फ्लाईओवर हैं जिन पर काम ही शुरू नहीं हो सका है।
कंपनी ने 18 महीने में प्रोजेक्ट पूरा करने का भरोसा दिया था और इस पर तेजी से काम चल रहा था। उम्मीद थी कि समय से पहले यह प्रोजैक्ट पूरा होगा लेकिन किसान आंदोलन ने हाईवे के निर्माण पर ब्रेक लगा दी है। दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे मुकरबा चौक से सिंघु बॉर्डर तक पहले 8 लेन बना हुआ था जबकि उससे आगे 6 लेन का नेशनल हाईवे था। इस नेशनल हाईवे पर ट्रैफिक बढ़ने के कारण छह लेन से आठ लेन की सड़क के साथ ही दो-दो लेन की सर्विस रोड बनाई जाने का प्लान तैयार किया गया था।
एनएचएआई ने एस्सेल कंपनी का ठेका रद्द करके पिछले साल वेलस्पून कंपनी को नेशनल हाईवे चौड़ीकरण की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस कंपनी ने तेजी से काम शुरू किया था और उसने पानीपत व राई के बीच में कई फ्लाईओवर को शुरू कर दिया है, तो इस जगह के बीच अन्य काम भी तेजी से चल रहा है। लेकिन अब किसान आंदोलन नेशनल हाईवे निर्माण की रफ्तार में रोड़ा बन गया है। राई से दिल्ली के बीच काम पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है।
5 फ्लाईओवर काम तक नहीं हुआ शुरू
आंदोलन की वजह से केजीपी-केएमपी गोल चक्कर से कुंडली तक ज्यादा हालात खराब है। इस बीच में हाईवे पर पांच फ्लाईओवर बनने हैं। इनमें सिंघु बॉर्डर, कुंडली, निफ्टम चौक, प्याऊ मनियारी, ड्रेन नंबर 8 शामिल हैं। इन जगहों पर फ्लाईओवर का कार्य शुरू भी नहीं हो सका है।
”नेशनल हाईवे के चौड़ीकरण का कार्य तेजी से किया जा रहा था लेकिन किसान आंदोलन के कारण राई से दिल्ली के बीच के 5 फ्लाईओवर पर कार्य भी शुरू नहीं हो सका है। ताजा हालातों से लग रहा है कि चौड़ीकरण का कार्य पूरा होने में एक साल से ज्यादा समय लगेगा। अगर किसान आंदोलन नहीं होता, तो इस साल के अंदर ही काम पूरा कर लिया जाता।
-आनंद दहिया, तकनीकी प्रबंधक, एनएचएआई