
जींद जेल में कैदी द्वारा बनायी गयीं पेंटिंग। -हप्र
दलेर सिंह/हमारे प्रतिनिधि
जींद, 2 फरवरी
हरियाणा में जेल के झंडे पर तीन शब्दों ‘सुधार, पुनर्वास, समायोजन’ का अधिकृत लॉगो अंकित है, जो सही मायनों में जींद जिला कारागार प्रबंधन द्वारा चरितार्थ किया जा रहा है। यहां सुधार का मतलब कैदी की जीवनशैली में सुधार करना, पुनर्वास का अर्थ जेल से बाहर जाकर वह दोबारा सुचारू ढंग से अपना जीवनयापन कर सके और समायोजन के मायने यह माने जाएं कि वह फिर से समाज के बीच रहकर अपनी शेष जिंदगी खुशहाल तरीके से बिता सके। यह तभी संभव है जब उसे जेल में रहते कोई नया हुनर सीखने को मिले और उसके लिए पर्याप्त संसाधन व वातावरण भी उपलब्ध हो। जींद जिला कारागार में ऐसे बहुत से कैदी व बंदी हैं, जो पेशेवर अपराधी नहीं रहे, बल्कि भावना में बहकर, गुस्से में आकर अथवा फिर अचानक हुए अपराध के कारण जेल में सजा काट रहे हैं, फिर भी पेशेवर अपराधियों के बीच रहकर ये कैदी अपना बाकी का जीवन सम्मान के साथ बिताने का सपना संजाये हुए हैं। इसके लिए उनको जींद कारागार के अधीक्षक संजीव बधवार की प्रेरणा, उनके द्वारा उपलब्ध करवाये गये संसाधन और माहौल भी संजीवनी से कुछ कम नहीं है, यही कारण है कि जींद जेल में सजा काट रहे अथवा सजा काटकर बाहर जा चुके सैकड़ों कैदी कुशल बारबर बन चुके हैं, बहुत से कैदी पलंबर, दर्जी, हलवाई, कारपेंटर,वैल्डर इत्यादी बनकर अपनी नई जिंदगी शुरू करने के लिए उत्साहित हैं। जींद जिला कारागार में उनको जहां स्वच्छ एवं सुंदर वातारवरण, पौष्टिक आहार और नियमानुसार सभी सुविधाएं आसानी से मिल रही हैं, वहीं काम के बदले प्रतिदिन अलग-अलग श्रेणियों में 80 से 100 रुपये प्रतिदिन का पारिश्रमिक भी मिलता है, जिसकी बचत करके वो सजा पूरी होने के बाद अपना खुद का व्यवसाय आसानी से शुरू कर सकते हैं। ये सब खुलासे एक विशेष मौके पर जींद जेल में सजा काट रहे दर्जनभर से ज्यादा कैदियों से दैनिक ट्रिब्यून प्रतिनिधि के साथ अनौपचारिक वार्ता के दौरान हुए। जिसमें कैदियों ने अपनी जिंदगी से अच्छे-बुरे वक्त के कुछ पल एवं अनुभवों को साझा किया।
फरीदाबाद निवासी 64 वर्षिय अजय कुमार बी.टैक टैक्सटाइल इंजीनियर है,फरीबाद में उसकी गारमेंट फैक्टरी थी,बतौर अजय करीब 250 कारीगर उसकी फैक्टरी में काम करते थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था, लेकिन वर्ष 2014 में ऐसा बुरा वक्ता शुरू हो गया कि कारोबार में बड़ा घाटा हो गया। गुस्सा बढ़ने लगा, एक दिन पत्नी से झगड़ा हुआ और गुस्से में सब्जी वाला चाकू पत्नी को घोंपकर उसे सदा-सदा के लिए मौत की नींद सुला दिया। आखिरकार 55 वर्ष की उम्र में उम्रकैद की सजा हो गई, पिछले नौ वर्ष से जेल में है। जेल में अधीक्षक संजीव बधवार की बदौलत मिले माहौल और प्रेरणा ने कुछ नया करने का जज्बा उसके मन में आया। गुस्सा लगभग खत्म हो गया और जनसेवा की भावना मन में घर कर गई। समय-समय पर जेल में आने वाले चिकित्सकों के सहायक के तौर पर उसे काम करने की जिम्मेदारी मिली और अपनी लगन और मेहतन के बलबूते पर उसने चिकित्सा सहायता व ऑफिस वर्क में निपूणता हासिल कर ली। अजय का कहना है कि आदमी यदि अपने गुस्से पर कुछ पल के लिए कंट्रोल कर लिया ले तो वह अपने जीवन के बहुत बड़े संकट से बच सकता है।
इसी तरह से जेल में पोक्सो एक्ट के तहत दस वर्ष की सजा काट रहा एक कैदी है धनौरी गांव निवासी जयभगवान, जो प्रेम में पागल होकर न केवल दर्दभरे गाने बल्कि देशभक्ति व धार्मिक गजलें भी गा रहा है। उसके स्वर में भी गजब फंकार है। जींद जेल में रहते उसे ऐसा माहौल मिला कि अब वह न केवल गीतकार व संगीतकार बन गया है,बल्कि 13 अन्य कैदियों को भी म्यूजिक के सा,रे,गा,मा,पा सीखा रहा है। वहीं जींद जेल में पोक्सो एक्ट के तहत 2013 से बीस वर्ष की सजा का रहा बुडायन गांव निवासी विक्की बारबर के कार्य में निपूण हो चुका है, उसने यह कार्य जेल में रहते हुए ही दूसरे कैदियों से सीखा था, जो अब जेल से बाहर जा चुके हैं। 2013 से बीस वर्ष की सजा काट रहा दुष्कर्म का दोषी अमित जींद जेल में रहते कारपेंटर बन चुका है, पोक्सो एक्ट में 2010 से दस वर्ष की सजा काट रहा घिमाना निवासी अजय कुशल पलंबर बन गया है,जींद शहर की दुर्गा कालोनी निवासी दुष्कर्मी सोनू वैल्डर बन गया, जिसने जींद जेल में रहते घास कट्टर भी बना डाला,24 वर्षिय हत्यारा शुभम 2017 से जींद जेल में बंद है, जो अब एक कुशल टेलर बन गया है।
कैदियों को मिल रहीं मूलभूत सुविधाएं
जींद जेल के अधीक्षक संजीव बधवार का कहना है कि सरकार की नियमावली एवं जेल डीजीपी अकील मोहम्मद के दिशा-निर्देशों की पालना करते हुए जींद जिला कारागार में बंदियों व कैदियों को हर प्रकार की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। बिना किसी दबाव या सिफारिश चाहे कोई पेशेवर बदमाश हो, अमीर या गरीब हो अथवा जाने-अनजाने में अपराध करने वाला हो, उन सभी के लिए समानांतर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं। जेल में रहते कैदी अपने जीवन में सुधार कर सकें, इसके लिए भी नियमानुसार सभी बंदियों व कैदियों को संसाधन उपलब्ध करवाने का भरसक प्रयास रहता है।
दर्जनभर से ज्यादा बनायीं पेंटिंग
सफीदों क्षेत्र निवासी संजीव उर्फ संजू इन दिनों एक हत्या के मामले में जींद जेल में बीस वर्ष की सजा काट रहा है। संजीव इसी बीच वर्ष2017 में जेल में जींद शहर का विजय पेंटर जेल में आकर कैदियों को पेंटर का कार्य सीखाने लगा,जिसमें उसकी रूचि हो गई और कुछ ही दिनों में उसने कला पेटिंग का कार्य सीख लिया। अब तक उसने मंत्रमुग्ध भगवान कृष्ण, महाभारत युद्ध के दौरान रथ पर विराजमान कृष्ण-अर्जुन, जैनमुनि,हाईकोर्ट के जस्टिस, जेलमंत्री रणजीत चौटाला, जेल डीजीपी अकील मोहम्मद,मां-बेटे की ममता व प्राकृतिक सौंदर्य से संबंधित दर्जनभर से ज्यादा कला आकृतियां बना चुका है। जेल अधीक्षक संजीव बधवार ने बताया कि संजू की कलाकृतियां विभिन्न प्रदर्शनियों में भेजी जाती है,जहां उनकी अच्छी कीमत भी मिलती है।
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