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मुसेपुर के पास भी तटबंध टूटा, कई गांव चपेट में

इन्द्री (निस) उपमंडल के गांव गढ़पुर टापू के बाद बुधवार को गांव मुसेपुर के पास भी तटबंध टूट गया है। इससे बाढ़ का पानी लगातार विकराल रूप से फैलता जा रहा है। सेना, एसडीआरएफ और पुलिस के जवान गढ़पुर टापू...

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इन्द्री के गांव मुसेपुर के पास यमुना के टूटे तटबंध से गांवों की तरफ बहता पानी। -निस
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इन्द्री (निस)

उपमंडल के गांव गढ़पुर टापू के बाद बुधवार को गांव मुसेपुर के पास भी तटबंध टूट गया है। इससे बाढ़ का पानी लगातार विकराल रूप से फैलता जा रहा है।

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सेना, एसडीआरएफ और पुलिस के जवान गढ़पुर टापू के पास टूटे तटबंध को जोड़ने का प्रयास करते रहे, लेकिन उन्हें पानी के तेजबहाव के कारण कामयाबी हासिल नहीं हुई है। हां, तटबंध टूटने से बांध के अंदर स्थित गांव नबियाबाद, जपती छपरा सिकलीगरान, जपती छपरा सैदान, सैयद छपरा, न्यू हलवाना, नगली के लोगों को थोड़ी राहत मिली बताई जा रही है। बांध टूटने से आवर्धन नहर तक के कईं गांव गढ़ीबीरबल, गढ़पुर टापू, लबकरी, कलसौरा, बदरपुर, मुसेपुर, समसपुर, ब्याना, रंदौली, शाहपुर आदि गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। इन गांवों में पहुंचने के मार्ग भी बंद हो चुके हैं। गांव डेरा हलवाना में कईं मकान व झोंपड़ियां पानी में डूब चुकी हैं। गांव में 70वर्षीय महिन्द्र कौर की मृत्यु हो गई।

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महिला के संस्कार के लिए परिजनों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। एसडीआरएफ प्रभारी राजेश नैन ने बताया कि टीम ने अभी तक 200 से अधिक लोगों को रेस्क्यू कर लिया है।

ये स्कूल पानी में डूबे

गांव गढ़पुर टापू, सैयद छपरा, डेरा हलवाना, जपती छपरा सैदान, जपती छपरा सिकलीगरान, नगली, डबकौली कलां, डबकौली खुर्द, चन्द्रांव, चौगावां, हंसूमाजरा, कलसौरा, मुसेपुर व समसपुर के स्कूलों में पानी चला गया है। जिला शिक्षा अधिकारी राजपाल चौधरी ने बाढ़ से घिरे होने के कारण खंड इन्द्री के 38 और करनाल खंड के बड़ा गांव, घीड़, शेरगढ़ टापू के स्कूलों में 14 जुलाई तक अवकाश घोषित किया है।

करनाल की धर्मशालाओं, नीलोखेड़ी एचआईआरडी में बनाये पुनर्वास स्थल

डीसी अनीश यादव ने कहा कि बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास स्थलों की पहचान की गई है। इनमें जाट धर्मशाला सेक्टर-12 करनाल में 700, राम लीला भवन, रेलवे रोड करनाल में 400, अग्रवाल धर्मशाला, करनाल में 200, कम्बोज धर्मशाला, करनाल में 400, नीलोखेड़ी में एचआईआरडी छात्रावास में 250 लोगों के ठहरने की व्यवस्था है। इसके अलावा, उपरोक्त स्थलों पर भोजन, पानी और स्वच्छता के पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं।

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