
भिवानी में पानी के अभाव में सूखी पड़ी नहर। -हप्र
अजय मल्होत्रा/हप्र
भिवानी, 28 फरवरी
हे सरकार! कुछ तो हमारी ओर भी ध्यान करो। नहरे सूखी पड़ी हैं। फसलें बिना पानी के खराब हो रही हैं और अन्नदाता की मेहनत पर सूखे की मार पड़ रही है। यह दर्द भिवानी के ग्रामीण पिछले लंबे समय से झेल रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि पानी के सियासी खेल का नुकसान भिवानी के बुवानखेड़ा, तोशाम और लोहारू के बहल के लगभग 300 गांवों को उठाना पड़ रहा है। रोहतक, महेंद्रगढ़, झज्जर व लोहारू के कुछ इलाकों को फायदा पहुंचाने के लिए सुंदर ग्रुप व दादरी डिस्ट्रीब्यूटरी, भिवानी में पानी की कमी करके जेएलएन ग्रुप को सप्लाई दी जाती है।
यहां के ग्रामीणों को बरसों से नहरों का पूरा पानी नहीं मिल रहा है। इसी प्रकार भिवानी व दादरी डिस्ट्रीब्यूटरी के तहत आने वाले लगभग 65 गांवों में भी पानी का जबरदस्त संकट बना रहता है। सरकार टेल तक पानी पहुंचाने का दावा तो करती है, लेकिन हकीकत इससे बहुत दूर है। अधिकारियों और नेताओं की बेरूखी के चलते भिवानी जिला सहित समुचे संसदीय क्षेत्र के लगभग 365 गांवों में नहरी पानी का गंभीर संकट बना हुआ है। यह संकट एक या दो माह से नहीं बल्कि वर्षों से है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नवंबर 2016 में भिवानी से गुजरने वाले जुई नहर सिस्टम को दुरुस्त करने की घोषणा की थी, लेकिन पिछले पांच सालों से इससे संबंधित फाइल चंडीगढ़ में अधिकारियों की अलमारियों में धूल फांक रही है। यह भी आरोप है कि भिवानी जिले के सुंदर व जुई नहर, भिवानी डिस्ट्रीब्यूटरी एवं दादरी डिस्ट्रीब्यूटरी जो कि सुंदर व बुटाना ग्रुप के तहत आती हैं, इनमें पानी की कमी करके अतिरिक्त पानी जेएलएन सिस्टम को दिया जाता है। अगर सुंदर व बुटाना ग्रुप में क्षमता के अनुरूप पानी आता है तो स्वभाविक तौर पर जवाहर लाल नेहरू कैनाल सिस्टम में पानी की कमी हो जाएगी, जो कि अब उसे मिल रहा है।
यहां से शुरू होता है भेदभाव :
सूत्रों के अनुसार पानी में भेदभाव का खेल अंटा हेड से ही शुरू हो जाता है। यहां से सुंदर ग्रुपा, बुटाना व जेएलएन को पानी आवंटित होता है। बताया जाता है कि सफीदों के पास स्थित अंटा हेड पर ही सुंदर ग्रुप में निर्धारित 2250 क्यूसेक की क्षमता की बजाए 1600-1700 क्यूसेक पानी आता है। कमोबेश यही स्थित बुटाना के साथ रहती है।
नहीं हो रही रि-मॉडलिंग
जुई व सुंदर नहरों की रि-मॉडलिंग न होने से हो जाती। जुई नहर में 600 से 700 क्षमता के विपरीत 400 से 500 क्यूसेक पानी ही मिल पाता है। हालात ये है कि तीन चौथाई पानी आने पर भी नहर के किनारे टूटने लगते हैं। पिछले तीन महीने में नहरों में क्षमता से लगभग आधा ही पानी मिला है। 25 दिसंबर 2020 से लेकर अब तक किसानों को तीन बार कम से कम सिंचाई के लिए पानी मिलना चाहिए था, लेकिन उन्हें केवल एक बार ही पूरा पानी मिल पाया और कई किसानों को तो एक बार भी पानी नहीं मिल। गौरतलब होगा कि सुंदर ग्रुप के तहत आने वाली जुई निंगाना व मित्ताथल नहरों में मरम्मत न होने के कारण पानी की कमी बनी रहती है। यह मामला मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समक्ष भी उठाया गया था, जिन्होंने 7 नवंबर 2016 को इन नहरों की मरम्मत के लिए 52 करोड़ रुपए मंजूर भी किए थे, लेकिन आज तक कोई काम नहीं हो पाया।
यह है स्थिति
सुंदर सब ब्रांच एवं मिताथल फीडर नहर के तहत जिले की 1 लाख 67 हजार 399 एकड़ भूमि सिंचाई के अंतर्गत आती है। इस नहर के साथ 1 लाख 94157 एकड़ भूमि लगती है। इसी प्रकार जुई कनाल एवं निगाना फीडर के तहत 1 लाख 68968 एकड़ भूमि की सिंचाई होती है, लेकिन इस नहरों के तहत 2 लाख 24635 एकड़ भूमि आती है। इसी प्रकार सिवानी कैनाल सिस्टम के तहत 1 लाख 33827 एकड़ भूमि की सिंचाई की जाती है, जबकि इस के तहत 1 लाख 71800 एकड़ भूमि लगती है। जो नहरी पानी से वंचित रहता है। लोहारू वाटर सर्विसिज के तहत चार बड़ी नहरें है। इन नहरों के तहत 3 लाख 7933 एकड़ भूमि लगती है। जबकि अपेक्षा से बहुत कम क्षेत्र की ही सिंचाई हो पाती है। उक्त नहरें 1379 क्यूसेक पानी के लिए डिजाइन की गई थी, लेकिन इन नहरों के निर्माण से लेकर आज तक इनकी टेल तक पानी नहीं छू पाया है।
पैदावार भी प्रभावित
पानी की कमी के चलते इस बार समुचे क्षेत्र में गेहूं और सरसों की फसल की पैदावार में भारी कमी संभावित है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार कम से कम 15 से 20 प्रतिशत सरसों और गेहूं की पैदावार में कमी आएगी। कई किसानों का तो कहना है कि मजबूरीवश किसान अपने खेतों में खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाने पर भी मजबूर हो रहे हैं। 29 जनवरी 2021 को सुंदर नहर में महीने बाद केवल तीन दिन पानी चला, जिससे केवल पेयजल आपूर्ति ही हुई।
विधानसभा में उठाऊंगी मुद्दा : किरण चौधरी
कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री किरण चौधरी का कहना है कि नहरी पानी के मामले में जानबूझकर भिवानी के साथ भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि नहरों की समय पर मरम्मत न होने और सरकार की नियत में खोट के कारण यहां पानी की एक आर्टिफिशियल कमी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि वे पानी भेदभाव मामले को आगामी विधानसभा सत्र में भी उठाएंगी।
64 करोड़ मंजूर कराये : धर्मबीर
भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मबीर सिंह का कहना है कि निसंदेह पानी का संकट अभूतपूर्व है, लेकिन इसे दूर करने के लिए शीघ्र योजना पर कार्य आरंभ होगा। उन्होंने यह मामला मुख्यमंत्री के समक्ष उठाया है और अब हरियाणा सिंचाई विभाग के अतिरिक्त सचिव ने क्षेत्र की नहरों की रि-मॉडलिंग के लिए गत सप्ताह 64 करोड़ रुपए जारी किये हैं। उम्मीद है कि नहरों की रि-मॉडलिंग के बाद क्षेत्र के साथ भेदभाव नहीं होगा।
भिवानी के साथ हो रहा अन्याय
किसान नेता अनिल सिंधू का कहना है कि जानबूझकर सुंदर ग्रुप व दादरी डिस्ट्रीब्यूटरी, भिवानी में पानी की कमी करके जेएलएन ग्रुप को सप्लाई दी जाती है। यहां से पानी रोहतक, महेंद्रगढ़, झज्जर व लोहारू के कुछ इलाकों पानी दिया जाता है, जिससे सहन नहीं किया जाएगा। इसके लिए ग्रामीण सरकार के खिलाफ आवाज उठाएंगें।
पानी के लिए 2 हजार रुपए महीना खर्च
नहरी पानी का असर किसानों के साथ-साथ आमजन पर भी पड़ रहा है। भिवानी शहर सहित लगभग 200 गांवों में 12 महीने पेयजल किल्लत बनी रहती है। कई गांवों तो ऐसे हैं जहां महीनों तक पीने का पानी नसीब नहीं होता है। आमतौर पर गांव में एक सप्ताह से दो सप्ताह बाद पेयजल के दर्शन होते हैं। 15 दिन बाद भी केवल 300 लीटर पानी ही मिलता है और लोग पानी टैंकर खरीद कर ही गुजारा करते हैं। लोगों को पानी के पानी और टैंकर पर महीने में करीब 2 हजार रुपए खर्चने पड़ रहे हैं। सरकार एक तरफ तो हर घर हर नल की बात कर रही है दूसरी ओर उन्हें रोजाना पानी की बंूद-बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है। पानी की कमी के कारण महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती है।
यमुना का घट जाता है जलस्तर
किसानों का कहना है कि यमुना में तो सर्दियों में पानी की कमी होती है जबकि यहां तो 12 माह लोगों को पानी नहीं मिलता। मामले में नहर विभाग के कार्यकारी अभियंता पुनीत राय का कहना है कि यमुना नदी के जल स्तर में कमी के कारण सुंदर ब्रांच में पानी की कमी बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सर्दियों में आमतौर पर ये कमी हो जाती है।
सब से अधिक पढ़ी गई खबरें
ज़रूर पढ़ें