दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 11 सितंबर
हरियाणा के सात जिलों के किसान दुविधा में फंस गए हैं। ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के तहत इन जिलों में बीमा करने वाली कंपनी– एग्रीकल्चर इंश्योरेंस ने हाथ खड़े कर दिए हैं। बीमा कंपनी के इस फैसले के बाद हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे पर केंद्र से बात शुरू कर दी है। केंद्र के हस्तक्षेप से मामले का हल निकालने की कोशिश है, ताकि फसलों का बीमा जारी रह सके। यदि बातचीत में कोई हल नहीं निकलता तो कृषि विभाग द्वारा बीमा करवाया जा सकता है। इन जिलों में अम्बाला, हिसार, गुरुग्राम, जींद, करनाल, महेंद्रगढ़ और सोनीपत शामिल हैं।
इस मुद्दे पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की गयी है। इसी बीच, नये घटनाक्रम के तहत बीमा कंपनी ने साफ कर दिया है कि वह बीमा करने में समर्थ नहीं है। कंपनी के इनकार के बाद कृषि विभाग ने स्टेट लेवल बैंकर कमेटी को आदेश जारी किए थे कि क्लस्टर-2 में शामिल जिलों के किसानों के बैंक खातों से काटी गई प्रीमियम की राशि लौटाई जाए। इसके बाद इन जिलों के दो लाख से अधिक किसान दुविधा में पड़ गये, जिन्होंने फसल बीमा योजना का लाभ लिया हुआ था। यह मुद्दा सुर्खियों में आ गया। विपक्ष ने सरकार पर हमला बोल दिया। आनन-फानन में सरकार ने यूटर्न लेते हुए रविवार को जारी किए अपने आदेशों को वापस
ले लिया।
राज्य के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा है कि किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, सरकार हर परिस्थिति में उनके साथ
खड़ी है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए सरकार ने हरियाणा में 3 क्लस्टर बनाए हुए हैं। क्लस्टर-1 में फरीदाबाद, कैथल, सिरसा, पंचकूला, कुरुक्षेत्र, रोहतक और रेवाड़ी हैं। क्लस्टर-2 में अम्बाला, करनाल, सोनीपत, हिसार, जींद, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम जिले आते हैं। क्लस्टर-3 में यमुनानगर, पानीपत, पलवल, भिवानी, फतेहाबाद, झज्जर, नूंह, चरखी दादरी जिले शामिल हैं।
प्रदेश का किसान आज स्वयं को ठगा महसूस कर रहा है। सरकार के संरक्षण में मोटी कमाई करने वाली बीमा कंपनी ने जिस तरह 7 जिलों में फसलों का बीमा करने से इनकार कर दिया, वह चिंताजनक है। किसानों की मदद के नाम पर बीमा कंपनियों ने करीब 55 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की है। जब किसानों को इन कंपनियों की करतूत समझ में आने लगी तो अब कंपनियां फसलों का बीमा करने को तैयार नहीं हैं। किसानों से विश्वासघात करने वाली बीमा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
– कुमारी सैलजा, पूर्व केंद्रीय मंत्री