चंडीगढ़, 30 अगस्त (ट्रिन्यू)
फिरोजपुर-झिरका से कांग्रेस विधायक मामन खान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। नूंह हिंसा मामले की जांच कर रही एसआईटी ने मामन खान को नोटिस देकर जांच में शामिल होने को कहा है। उन्हें बुधवार को जांच में शामिल होना था, लेकिन अब वे बृहस्पतिवार को नगीना थाने में एसआईटी के सामने पेश होकर जांच में शामिल होंगे। इससे पहले उन्होंने विधानसभा सचिवालय से बजट सत्र के दौरान दिये गए बयान की कार्रवाई निकलवाई है।
इस पूरे मामले में नया मोड़ यह आ गया है कि बजट सत्र के दौरान मामन खान द्वारा दिया गया विवादित बयान विधानसभा के रिकार्ड में है। उनका बयान विधानसभा की कार्यवाही से हटा नहीं है। खुद स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने भी यह बात स्वीकार की है। यह बयान उन्होंने उस समय दिया था जब नासिर-जुनैद हत्याकांड के आरोपी मोनू मानेसर की गिरफ्तारी को लेकर उनकी पटौदी से भाजपा विधायक सत्यप्रकाश जरावता के साथ तीखी बहस चल रही थी। उस दौरान दोनों ही विधायकों में काफी गरमा-गरमी भी हुई थी। मोनू मानेसर को लेकर मामन खान इंजीनियर ने विधानसभा में विवादित बयान दिया था। नूंह हिंसा के बाद मामन खान का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। अभी तक यही माना जा रहा था कि उस समय विधानसभा की कार्यवाही से इस विवादित बयान को हटवा दिया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अब चूंकि बयान विधानसभा के रिकार्ड में है तो पुलिस इसे लेकर मामन खान से पूछताछ कर सकती है।
वहीं दूसरी ओर, गृह मंत्री अनिल विज पहले ही यह संकेत दे चुके हैं कि मामन खान से 28, 29 और 30 जुलाई को उनकी गतिविधियों के बारे में पूछताछ की जाएगी। एसआईटी से पता करेगी कि इन तीन दिनों में वे कहां-कहां गए। दरअसल, 31 जुलाई को नूंह में हिंसा हुई थी। विज की मानें तो मामन खान इन तीन दिनों में जहां-जहां गए, वहां-वहां हिंसा हुई है। सूत्रों का कहना है कि मामन खान को भी यह लग रहा था कि उनका बयान विधानसभा के रिकार्ड से हटवाया जा चुका है।
इसीलिए उन्होंने स्पीकर को आवेदन देकर कार्यवाही की कॉपी मांगी। बताते हैं कि उनका बयान रिकार्ड में दर्ज मिला है। बजट सत्र के दौरान जब मामन खान ने यह बयान दिया था तो इसे असंसदीय भी बताया गया था। भाजपा विधायकों ने इसका कड़ा विरोध भी किया था। अहम बात यह है कि सत्यप्रकाश जरावता और मामन खान के बीच जब यह विवाद चल रहा था तो उस समय हाउस को डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा चेयर कर रहे थे। इस संदर्भ में मामन खान का पक्ष जानने के लिए उन्हें कई बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने कोई रिस्पांस नहीं दिया।
मामन खान ने विधानसभा की कार्यवाही की कॉपी मांगी थी, उन्हें वह दे दी गई है। मामन खान ने मोनू मानेसर को लेकर जो शब्द सदन में बोले थे, वे आज भी रिकार्ड पर हैं। उन्हें कार्यवाही से बाहर नहीं किया गया। मुझे लगा था कि इन शब्दों को कार्यवाही से बाहर करवा दिया गया होगा। इसलिए मैं जब चेयर पर आया तो मैंने अपनी अनुपस्थिति में हुए घटनाक्रम पर दोबारा चर्चा की बजाय सदन की कार्यवाही को आगे बढ़ा दिया था’।
-ज्ञानचंद गुप्ता, स्पीकर, हरियाणा विधानसभा
विधानसभा में भी सरकार कानून व्यवस्था और नूंह हिंसा के मामले में जवाब देने से बचती नज़र आई। सरकार पूरे मामले की पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में न्यायिक जांच से भी भाग रही है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि सरकार इस मामले में न चर्चा के लिए तैयार है और न ही जांच के लिए। इसका मतलब है कि दाल में कुछ जरूर काला है, जिसे सरकार छिपाने का प्रयास कर रही है।
-भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री