दिनेश भारद्वाज
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 21 सितंबर
पिपली (कुरुक्षेत्र) में 10 सितंबर को किसानों पर हुए लाठीचार्ज को सीएम मनोहर लाल खट्टर ने सेल्फ डिफेंस में उठाया कदम बताया है। उनका दो-टूक कहना है कि पिपली में कुछ लोगों पर लाठी चली और उसे लाठीचार्ज नहीं कहा जा सकता। चूंकि यह सेल्फ डिफेंस में उठाया गया कदम था। लाठीचार्ज को सत्तापक्ष और विपक्ष में चल रहे विवाद के बीच सोमवार को सीएम मनोहर लाल खट्टर का यह बयान सामने आया।
यहां चडीगढ़ के सेक्टर-3 स्थित भाजपा कार्यालय में कोरोना काल में सरकार द्वारा किए गए कार्यों को लेकर ‘ई-बुक’ लांचिंग के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। सीएम ने कहा, लाठीचार्ज क्या होता है, चर्चा ये होनी चाहिए। उन्होंने माना कि सादी वर्दी वाले सीआरए के पुलिसकर्मी ने लाठी चलाई थी। उन्होंने कहा, वीडियो में एक व्यक्ति सादी वर्दी में टोप पहने हुए दिखाई दे रहा है। दूसरी तरफ से एक व्यक्ति ट्रैक्टर द्वारा बैरिकेडिंग को तोड़कर आगे बढ़ा जा रहा था। ऐसे में पुलिसकर्मी ने सेल्फ डिफेंस में कदम उठाया। एक तरह से सीएम ने साफ कर दिया है कि पिपली में किसानों पर कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ।प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज शुरू से ही कह रहे हैं कि पुलिस ने किसी किसान पर लाठी नहीं चलाई। हालांकि भाजपा की गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) लाठीचार्ज पर किसानों से माफी मांग चुकी है। भाजपा सांसद -धर्मबीर सिंह, बृजेंद्र सिंह, पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु सहित कई नेता भी लाठीचार्ज की निंदा कर चुके हैं। वहीं दूसरी ओर, जेजेपी नेता व डिप्टी सीएम दुष्यंत सिंह चौटाला भी लाठीचार्ज के मुद्दे पर सीएम से मुलाकात कर चुके हैं। दुष्यंत ने लाठीचार्ज मामले की जांच करवाने की मांग की थी। विज के बाद अब खुद सीएम द्वारा भी लाठीचार्ज से इनकार करने के बाद साफ हो गया है कि भाजपा सरकार का इस मामले पर स्टैंड स्पष्ट है। सरकार का साफ मानना है कि पुलिस ने किसानों पर लाठियां नहीं चलाई। दोनों पार्टियों – भाजपा व जेजेपी नेताओं के अलग-अलग स्टैंड ने दुविधा और बढ़ा दी है। कानून तोड़ने का अधिकार किसी को नहीं दिया जा सकता।
मंडियों में एमएसपी नहीं होगा खत्म
किसानों के आंदोलन के बीच सीएम ने एक बार फिर दोहराया कि मंडियों में फसल लेकर आने वाले किसानों की फसलें न्यूनम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी जाएंगी। सरकार एमएसपी को खत्म नहीं कर रही है। नये कानून में किसानों को यह छूट रहेगी कि अगर उन्हें मार्केट में अधिक दाम मिलते हैं तो वे अपनी फसलों को बेच सकेंगे।