चंडीगढ़, 29 सितंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा में पराली जलाने की गंभीर समस्या से निपटने के लिए मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कड़े निर्देश जारी किए हैं। शुक्रवार को समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कौशल ने इस बात पर जोर दिया कि खेतों में लगने वाली आग से निपटने में कोई नरमी नहीं बरती जाएगी, उन्होंने जिला अधिकारियों से जुर्माना लगाने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का आग्रह किया।
मुख्य सचिव ने कृषि और पुलिस विभाग के अधिकारियों को जिला, ब्लॉक और गांव स्तर पर तैनात कर खेतों में लगने वाली आग की निगरानी करने और उस पर अंकुश लगाने के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने पराली जलाने वाले लोगों तथा नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से किसान नेताओं के साथ जुड़ कर सरकार के प्रोत्साहनों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का आग्रह किया।
कौशल ने कहा कि हरियाणा सरकार किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन प्रदान करती है। मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि पराली जलाने वाले लोगों पर लगाए गए जुर्माने को समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाए,ताकि अन्य लोगों को इसके नुकसान का पता चल सके। कौशल ने खेतों के दौरे के दौरान छोटे और सीमांत किसानों तक उपकरण पहुंचाने के महत्व पर जोर दिया जिससे छोटे से छोटे किसानों के पास भी फसल अवशेषों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए आवश्यक उपकरण पहुंच सकें।
उन्होंने कहा कि हरियाणा व्यापक उपायों की एक श्रृंखला के माध्यम से धान की पराली जलाने की समस्या का लगातार समाधान कर रहा है, जिसके प्रभावशाली परिणाम मिले हैं। राज्य में 2021 और 2022 के बीच सभी जिलों में पराली जलाने से जुड़ी आग की घटनाओं में लगभग 50 फीसदी तक की कमी आई है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अध्यक्ष श्री एम एम कुट्टी ने भी वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए राज्य सरकार के कदमों की सराहना की है। मुख्य सचिव ने राज्य में पराली जलाने की स्थिति की समीक्षा करते हुए कहा कि वर्ष 2023 में राज्य का लक्ष्य लगभग 37 लाख टन धान की पराली का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना है, इसका लगभग एक-तिहाई हिस्सा विभिन्न उद्योगों द्वारा पुन: उपयोग किया जाएगा। प्रमुख उद्योगों में अनुमानित मात्रा 13.54 लाख मीट्रिक टन धान के भूसे की खपत होने की संभावना है। सरकार ने पूसा बायो डीकंपोजर के माध्यम से 5 लाख एकड़ धान क्षेत्र का लक्ष्य रखने की पहल की है।