
चंडीगढ़, 17 मार्च (ट्रिन्यू)
केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ में हरियाणा व पंजाब के कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति और उनका टेन्योर फिक्स किए जाने का मुद्दा शुक्रवार को विधानसभा में भी उठा। पूर्व शिक्षा मंत्री व झज्जर विधायक गीता भुक्कल ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया। दैनिक ट्रिब्यून ने इस संबंध में ‘सच का सामना’ कॉलम से कई खबरों का प्रकाशन कर मामले को उजागर किया है।
भुक्कल ने कहा कि सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। चूंकि यह मामला हरियाणा के अधिकारों से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में कुल पदों में से 80 प्रतिशत यूटी कैडर के लिए हैं। बाकी 20 प्रतिशत में पंजाब और हरियाणा के बीच 60:40 का समझौता है। यानी साठ प्रतिशत पदों पर पंजाब और चालीस प्रतिशत पर हरियाणा के कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर आएंगे। उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों का टेन्योर तय करने का अधिकार केवल राज्य सरकारों के पास है। चूंकि ये कर्मचारी अपने कोटे के पदों पर ट्रांसफर ऑन डेपुटेशन बेस पर आते हैं, ऐसे में यूटी इनका टेन्योर फिक्स नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा बार-बार नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है, लेकिन सरकार की ओर से कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा। पिछले साल हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट में यूटी प्रशासन ने कोटे को 20 प्रतिशत से घटाकर पंद्रह प्रतिशत कर दिया। अब केंद्र के नियमों का हवाला देते हुए पंद्रह प्रतिशत कोटे को भी खत्म करने की तैयारी है। अगर ऐसे ही चलता रहा तो हरियाणा के कर्मचारियों का तो चंडीगढ़ में आना पूरी तरह से बंद हो जाएगा।
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