सोनीपत 25 अक्तूबर (हप्र)
मुरथल स्थित दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में प्रतिनियुक्त एवं उच्चतर शिक्षा विभाग से संबंध प्राध्यापिका डा. दीपा शर्मा ने सैद्धांतिक शोध में पाया है कि ‘कार्बन नैनो ट्यूब्स’ के माध्यम से बिजली ट्रांसमिशन लॉस को कम किया जा सकता है। ‘कार्बन नैनो ट्यूब्स’ इलैक्ट्रॉनिक व ऑप्टिकल डिवाइसिस की क्षमता में वृद्धि कर सकती हैं। डा. दीपा ने ‘कार्बन नैनो ट्यूब डाइमर’ के आणविक कम्पन के रहस्यों को नवीनतम सैद्धांतिक शोध में उजागर किया है।
डा. दीपा शर्मा का नवीनतम शोधपत्र जर्मनी से प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय शोधपत्रिका स्पैट्रोकीमिका एटा ए में प्रकाशित हुआ है। डा. शर्मा ने सैद्धांतिक शोध में सुझाव दिया है कि अगर कार्बन नैनो ट्यूब्स को सुपर कंडक्टिंग पदार्थों के समीप लाया जाता है, तो उनमें भी सुपर कंडक्टिंग गुण पैदा हो जाते हैं। वह कार्बन नैनो ट्यूब्स के विशिष्ट इलैट्रिकल, मैकेनिकल और आप्टिकल गुणों के कारण, उनके अंदर सुपरकंडक्टिंग गुणों का विकसित होना अपने आप में एक बहुत ही महत्वपूर्ण आयाम है।
इस तकनीक का प्रयोग करके भविष्य में ऊर्जा के प्रचार व प्रसार के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन होने की संभावनाएं बनी है। इतना ही नहीं, कार्बन नैनो ट्यूब्स के विन्यास में अन्य अणुओं के नियोजन से कैसे विभिन्न इलैक्ट्रानिक व ऑप्टिकल डिवाइसिस की कार्य क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि की जा सकती है। इस दिशा में भी डा. शर्मा ने शोध में अनेक संभावनाएं तलाशी हैं।
अमेरिकी प्रयोगशाला ने की शोधकार्य की गणना
इस शोध कार्य में की गयी गणनाओं का कार्य अमेरिका की लॉरेंस बर्कले राष्ट्रीय प्रयोगशाला व जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बैंगलोर के सुपर कम्प्यूटर्स पर किया गया।
उन्होंने इन गणनाओं के माध्यम से हाल ही में खोजे गए ‘कार्बन नैनो ट्यूब डाइमर’ के रमन स्पेक्ट्रा का अध्ययन कर उनके आणविक कम्पन से जुड़े रहस्यों को उजागर किया।