दिनेश भारद्वाज
ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 25 सितंबर।
हरियाणा राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग की मुहिम रंग लाई है। राज्य सरकार ऑनलाइन टीचर ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव करेगी। यह बदलाव अक्तूबर में प्रस्तावित ट्रांसफर ड्राइव पर ही लागू होगा। इतना ही नहीं, शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात भी नये सिरे से तय होगा ताकि स्कूलों में विद्यार्थियों के लिए शिक्षकों की कमी न रहे।
आयोग द्वारा की गई सिफारिशों पर सहमत हुए सीएम मनोहर लाल खट्टर ने ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव करने को कह दिया है। दरअसल, प्रदेशभर में कुल 14 हजार सरकारी स्कूल हैं। इनमें से 4283 ऐसे स्कूल हैं, जिनमें एक भी महिला शिक्षक नहीं हैं। अलबत्ता इन स्कूलों में बेटियों यानी छात्राओं की संख्या 1 लाख 54 हजार से अधिक है। आदमपुर (हिसार) हलके के एक सरकारी स्कूल क छात्रा द्वारा की गई यौन शोषण की शिकायत के बाद यह मामला सामने आया।
इस शिकायत पर जांच के दौरान यह बात राज्य बाल सरंक्षण अधिकार आयोग के नोटिस में आई। ऐसे में आयोग ने स्कूल शिक्षा विभाग से प्रदेशभर का डॉटा कलेक्ट किया। डॉटा खंगालने के बाद यह बात सामने आई कि 14 हजार में से 4283 सरकारी स्कूलों में महिला शिक्षक नहीं हैं। यह तथ्य सामने आने के बाद आयोग ने शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया। यही नहीं, सरकार को ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव करने की सिफारिश भी की।
सूत्रों का कहना है कि जब सीएम के पास यह मामल पहुंचा तो वे भी काफी हैरान हुए। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ट्रांसफर पॉलिसी में इस तरह के बदलाव किए जाएं कि अधिकांश स्कूलों में महिला शिक्षक की नियुक्ति हो सके। कम से कम उन सभी स्कूलों में महिला टीचर जरूर होगी, जहां छात्राएं पढ़ती हैं। महिला शिक्षकों के मामले में सबसे बुरे हालात नूंह जिला में हैं।
नूंह के 511 ऐसे स्कूल हैं, जिनमें एक भी महिला शिक्षक नहीं। आयोग ने अपनी सिफारिश में यह भी कहा है कि महिला शिक्षक नहीं होने की वजह से यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली छात्राएं अपनी पीड़ा किसी को बता भी नहीं पाती। वैसे भी स्कूल में जब छात्राएं हैं तो महिला शिक्षक का होना जरूरी है। अब इसी को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव करेगा। अक्तूबर माह के पहले पखवाड़े में ही ट्रांसफर ड्राइव शुरू हो सकता है।
इसलिए भी बढ़ा गैप
दरअसल, शिक्षकों के लिए बनाई गई ट्रांसफर पॉलिसी में तबादले अंकों के आधार पर होते हैं। महिला शिक्षकों को पुरुष शिक्षकों के मुकाबले 10 नंबर अतिरिक्त मिलते हैं। इसी तरह से विधवा महिलाओं के लिए भी अतिरिक्त अंकों का प्रावधान हैं। ऐसे में अधिकांश महिलाओं की पोस्टिंग मनचाहे स्टेशन पर होती है। इसी वजह से बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल रह जाते हैं, जिनमें एक भी महिला शिक्षक नहीं होती। अब पॉलिसी में ऐसी शर्तें तय होंगी, जिससे हर स्कूल को महिला शिक्षक मिल सके।
एक नज़र इधर भी
बेशक, 4283 स्कूलों में एक भी महिला शिक्षक नहीं होना गंभीर मामला है लेकिन राज्य में 1238 स्कूल ऐसे भी हैं, जिनमें एक भी पुरुष शिक्षक नहीं है। माना जा रहा है कि ऐसे में अब सरकार शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात को लेकर भी फैसला करेगी। 40 हजार 673 महिला शिक्षकों के अलावा पुरुष शिक्षकों की संख्या 54 हजार 481 है।
क्या कहती हैं बाल संरक्षण अधिकार आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा
राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने कहा कि शुरूआत एक छात्रा द्वारा की गई यौन उत्पीड़न की शिकायत से हुई थी। इसके बाद डॉटा स्डटी किया तो पता लगा कि 4283 स्कूलों में एक भी महिला शिक्षक नहीं है। सरकार को ऑनलाइन टीचर ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव करने की सिफारिश की गई थी। मुझे पता लगा है कि सरकार ने ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव करने का निर्णय लिया है। यह छात्राओं के लिए काफी फायदेमंद रहेगा।