ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 6 दिसंबर
हरियाणा लोकसेवा आयोग के उपसचिव रहे एचसीएस (हरियाणा प्रशासनिक सेवा) अधिकारी अनिल नागर को सरकार ने बर्खास्त (टर्मिनेट) कर दिया है। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो द्वारा नकद रुपयों के साथ गिरफ्तार किए जाने के बाद से ही नागर सस्पेंड (निलंबित) चल रहे थे। पूरे घटनाक्रम को लेकर हो रही फजीहत और विपक्ष के हमलों के बीच मंगलवार को नागर को बर्खास्त करने के आदेश जारी किए।
इस पूरे मामले को 17 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र से भी जोड़कर देखा जा रहा है। ‘कैश फॉर जॉब’ प्रकरण को लेकर विपक्ष द्वारा शीतकालीन सत्र में ‘काम रोको प्रस्ताव’ लाने का भी मन बनाया हुआ है। ऐसे में सरकार ने सदन में जवाब देने से पहले ही यह कार्रवाई कर दी है। मुख्य सचिव संजीव कौशल द्वारा जारी किए गए चार पेज के बर्खास्तगी आदेशों में इस पूरे मामले का भी हवाला दिया गया है।
नागर को सरकारी सेवाओं से टर्मिनेट करने से पहले सरकार ने हरियाणा लोकसेवा आयोग (एचपीएससी) से भी रिपोर्ट ली। टर्मिनेट करने के आदेशों में यह भी कहा गया है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच और पूरे घटनाक्रम को लेकर और तथ्य जुटाने के लिए नागर को हटाया जाना जरूरी था। चूंकि वे एचपीएससी में पावरफुल पद पर रहे हैं, ऐसे में उनके अधीनस्थ काम करने वाला स्टॉफ भी कोई जानकारी देने को तैयार नहीं था। आमतौर पर कर्मचारियों में अधिकारी के प्रति डर का भी माहौल रहता है।
स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने अनिल नागर के अलावा भिवानी के नवीन तथा झज्जर के अश्विनी शर्मा को भी इस पूरे मामले में गिरफ्तार किया है। तीनों ने पूछताछ में यह स्वीकार किया है कि उन्होंने नौकरियों के लिए पैसे लिए। डेंटल सर्जन की भर्ती के लिए कई उम्मीदवारों ने सैटिंग की गई। एचसीएस प्री-एग्जाम को पास करवाने के लिए भी सौदा हुआ। तीनों के कब्जे से विजिलेंस ब्यूरो ने 3 करोड़ 5 लाख रुपये नकद भी बरामद किए हैं। पदों के हिसाब ने इन लोगों ने रेट तय किए हुए थे।