नूंह जिले में गुरुग्राम-नूंह सीमा पर 'शोभा यात्रा' के आह्वान के मद्देनजर तैनात आरएएफ के जवान। (दाएं) सुनसान पड़े नूंह के बाजार। -प्रेट्र
विवेक बंसल/हप्र
नूंह, 28 अगस्त
तनाव के बीच ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा सोमवार को पूरी हो गई। इस दौरान पड़ोसी राज्यों की सीमाएं सील रहीं। पुलिस सुरक्षा में नूंह के मंदिरों में जलाभिषेक हुआ। सावन माह के आखिरी सोमवार को नलहड़, झिरका व सिंगार गांव स्थित मंदिरों पर जलाभिषेक का संकल्प था। यात्रा को लेकर प्रदेश सरकार की रोक और भारी पुलिस तैनाती के बावजूद गुरुग्राम, पलवल व फरीदाबाद से काफी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी।इस बीच प्रस्तावित जलाभिषेक यात्रा नहीं हुई, लेकिन पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में कुछ खास लोग अनुमति के बाद नूंह, फिरोजपुरझिरका और पुन्हाना के मंदिर जलाभिषेक कर पाए।
फिरोजपुरझिरका के शिव मंदिर परिसर में जलाभिषेक के लिए लगी भीड़। -हप्र
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) ममता सिंह ने कहा कि कुछ संगठनों द्वारा जिला नूंह में ब्रजमंडल की शोभायात्रा को लेकर आह्वान किया था, इसके मद्देनजर पुलिस प्रशासन द्वारा कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के सभी इंतजाम किए गए थे। सुरक्षा की दृष्टि से कई जगह पुलिस नाके लगाए गए थे, जहां पर आवागमन कर रहे लोगों की चेकिंग की गई और किसी भी प्रकार का अनावश्यक मूवमेंट नहीं होने दिया गया। डीसी धीरेंद्र खड़गटा ने कहा कि आज जिला में शांतिपूर्ण माहौल में जलाभिषेक के कार्यक्रम हुए। लोगों ने श्रद्धापूर्वक व पूरी आस्था के साथ मंदिरों में शिवलिंग पर जलाभिषेक किया। उपायुक्त ने बताया कि जिला में किसी भी संगठन को शोभा यात्रा निकालने की इजाजत नहीं थी। स्थानीय लोगों द्वारा पूरा दिन नल्हेश्वर मंदिर, झीर मंदिर में जलाभिषेक के कार्यक्रम शांतिपूर्वक ढंग से हुए। अमन-चैन व शांति बहाली में हर वर्ग का अच्छा सहयोग रहा तथा सभी गांवों में बनी शांति कमेटियों ने जिला में सौहार्दपूर्ण माहौल बनाने में मुख्य भूमिका निभाई। उपायुक्त ने बताया कि जिला में एहतियात के तौर पर धारा-144 लगाई गई थी। लोगों से भी शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की गई थी। जिला प्रशासन व आम नागरिकों के सहयोग से अब जनजीवन सामान्य तरीके से पटरी पर लौट रहा है।
नूंह के बाद यह काफिला फिरोजपुर झिरका शिव मंदिर पहुंचा, जहां उन्होंने पांडव कालीन शिव मंदिर पर जलाभिषेक किया। उन्होंने यहां जय श्रीराम, भारत माता की जय नारे भी लगाए उनका स्वागत फूल बरसा कर किया गया स्थानीय स्तर पर भी लोग काफी जमा थे। जिला नूंह के राजपूत बाहुल्य गांव उजीना में मुख्यमंत्री और सोहना के विधायक का पुतला फूंका गया। ब्रजमंडल यात्रा को अनुमति न दिए जाने पर कुछ लोग नाराज थे।
गुरुग्राम-सोहना भोंडसी के टोल प्लाजा पर पुलिस द्वारा रोके गए महामंडलेश्वर। -हप्र
51 लोगों को मिली थी अनुमति
सर्व हिंदू पंचायत मेवात के बैनर पर विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल सहित लोगों शहर के 51 लोगों को नल्हड़ महादेव मंदिर में जल चढ़ाने की अनुमति दी गई। विभिन्न स्थानों से यह लोग पहले पुलिस लाइन पहुंचे और फिर उनकी सूची तैयार कर पटौदी के स्वामी धर्मदेव की अगुवाई में विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अमित कुमार तथा अन्य लोगों के साथ 3 बसों में सवार होकर नल्हड़ पहुंचे। इनमें दिल्ली उत्तर प्रदेश तथा अन्य स्थानों से आए लोग भी मौजूद थे। इस दल में हरियाणा आरएसएस प्रांत प्रचारक विजय गुरुग्राम भाजपा नेता सतीश नागर, बनारस सरयू से जल लेकर आए जितेंद्र आनंद नारायण गिरी दूधेश्वर मठ, गाजियाबाद नवल किशोर, दिल्ली धीरेंद्र कोहली, गिरीश आनंद, किशन महाराज, सर्व हिंदू पंचायत मेवात के अध्यक्ष अरुण जैलदार, भाजपा जिला अध्यक्ष नरेंद्र पटेल, जिला नूंह के पूर्व भाजपा अध्यक्ष सुरेंद्र प्रताप देशवाल ,जसवंत गोयल पिनगवां, मीना ठाकुर, राजकुमार गर्ग फिरोजपुरझिरका, धर्मपाल आर्य फिरोजपुरझिरका, सचिन, सुक्कू, मुकेश मंगला, सोनू और मोनू राठौर ,बंटी, नेहा सिंह आदि लोग भी मौजूद थे।
संविधान पूजा का अधिकार देता है : आलोक कुमार
विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने पत्रकारों से बात की और कहा कि हमारे संविधान में हर समाज को अपनी पूजा पाठ का अधिकार देता है। संविधान के अनुरूप जलाभिषेक किया गया है। 31 जुलाई को जो हिंसा हुई, उसमें एक विशेष समुदाय के लोग हिंदू समुदाय के लोगों को ही दोषी ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्रावण महीने के आखिरी सोमवार को शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने की पुरानी परंपरा है और यह एक धार्मिक आयोजन है जिसका बड़ा ही पुण्य मिलता है आज यह यात्रा संपन्न हो गई है मेवात के शिव मंदिर काफी पुराने और ऐतिहासिक हैं पूरे देश से लोग यहां पर पूजा पाठ के लिए आते हैं इनका अपना-अपना महत्व है। श्रृंगेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक शांतिपूर्वक हुआ।
नूंह जिले में गुरुग्राम-नूंह सीमा पर पुलिस कर्मी एक वाहन की जांच करते हुए। -प्रेट्र
वाहनों की हुई चैकिंग
नूंह सीमा से पहले गुरुग्राम जिले के घामडोज टोल प्लाजा पर गुरुग्राम पुलिस ने नाकेबंदी कर रखी थी और नूंह जाने वाले सभी लोगों की चेकिंग की जा रही थी। इसी क्रम में दिल्ली गुरुग्राम सीमा से नूह तक पांच प्रमुख चौकियां बनाई गई थी । यहां पर अयोध्या के हिंदू संत जगतगुरु परमहंस आचार्य के वाहन को रोक लिया गया और उन्हें जाने नहीं दिया गया। इस पर वह नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि वह सरयु नदी का जल और अयोध्या की मिट्टी ले जा रहे हैं और नल्हड़ मंदिर में जलाभिषेक करेंगे। वह भूख हड़ताल पर बैठ गए बाद में उन्हें भी नूंह ले जाया गया। बता दें कि 31 जुलाई को जिला नूह में हुई सांप्रदायिक हिंद हिंसा एवं लड़ाई झगड़े में पुलिस के दो होमगार्ड सहित कल 6 लोगों की मौत हुई थी। पुलिस ने बीती रात नूंह जिला भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र प्रताप देशवाल और जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता योगेश अलालपुरिया को हिरासत में ले लिया था बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया।
एसआई की दिल का दौरा पड़ने से मौत
नूंह में ड्यूटी करते हुए थाना नगीना के सब इंस्पेक्टर हाकमुद्दीन का दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई है। 45 वर्षीय एसआई बड़कली चौक पर ड्यूटी कर रहे थे। उन्हें दिल का दौरा पड़ा और 5 मिनट के अंदर ही मौत हो गई।
गुरुग्राम : नजरबंद किए गए हिंदू संगठनों के नेता
कुलभूषण भारद्वाज
गुरुग्राम (हप्र) : सोमवार को नूंह के नल्हड़ स्थित मंदिर में जलाभिषेक यात्रा निकालने से पूर्व ही गुरुग्राम पुलिस ने कई हिंदू नेताओं को घर में ही नजरबंद कर दिया। उनके घरों के बाहर काफी पुलिस तैनात की गई। उन्हें नूंह जाने की इजाजत नहीं दी गई। सोमवार को यहां सेक्टर-14 में बार एसोसिएशन गुरुग्राम के पूर्व प्रधान, पूर्व भाजपा नेता एवं हिंदू संगठनों से जुड़े कुलभूषण भारद्वाज को भी उनके घर में नजरबंद किया गया। कुलभूषण भारद्वाज ने सरकार की इस कार्रवाई का विरोध किया। सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार जलाभिषेक यात्रियों को सुरक्षा देने की बजाय इस तरह से नजरबंद करवा रही है। यह तानाशाही है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।