चंडीगढ़, 22 सितंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा में डीजल व पेट्रोल की बजाय इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर देने के लिए सरकार ने इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को बड़ी राहत देने का निर्णय लिया है। इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियों को पंद्रह लाख से लेकर 20 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी सरकार देगी। खट्टर कैबिनेट द्वारा मंजूर की गई हरियाणा इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी-2022 का नोटिफिकेशन उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ने जारी कर दिया है।
इस पॉलिसी के तहत प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहन के निर्माताओं को अपने उद्योग स्थापित करने तथा पहले से स्थापित उद्योग को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण के लिए परिवर्तन करने हेतु कई छूट का प्रावधान किया है। सरकार की कोशिश है कि अधिक से अधिक निर्माताओं को प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए आकर्षित किया जा सके। इसी कड़ी में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने, इन वाहनों की बैटरी, उपकरण व चार्जिंग स्टेशन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने से संबंधित उद्योग लगाने वालों को पॉलिसी में विशेष ‘बोनांजा’ दिया है। पॉलिसी के अनुसार, किसी यूनिट में लगने वाली ‘फिक्सड केपिटल इन्वेस्टमेंट’ में से केपिटल सब्सिडी मिलेगी। ‘हरियाणा इलेक्ट्रिक -व्हीकल पॉलिसी-2022’ के अनुसार, राज्य में ‘माइक्रो इंडस्ट्री’ की कैटेगरी में पहली 20 इकाइयों को ‘फिक्सड केपिटल इन्वेस्टमेंट’ की 25 प्रतिशत या अधिकतम 15 लाख रुपये की सब्सिडी मिलेगी। ‘स्मॉल इंडस्ट्री’ की कैटेगरी में पहली 10 इकाइयों को ‘फिक्सड केपिटल इन्वेस्टमेंट’ की 20 प्रतिशत या अधिकतम 40 लाख की सब्सिडी सरकार देगी।
‘मिडियम इंडस्ट्री’ की कैटेगरी में पहली 5 इकाइयों को ‘फिक्सड केपिटल इन्वेस्टमेंट’ की 20 प्रतिशत या अधिकतम 50 लाख रुपये की केपिटल सब्सिडी मिलेगी। ‘लार्ज इंडस्ट्री’ की कैटेगरी में पहली 2 इकाइयों को ‘फिक्सड केपिटल इन्वेस्टमेंट’ की 10 प्रतिशत या अधिकतम 10 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी। इसी तरह से ‘मेगा इंडस्ट्री’ की कैटेगरी में पहली 3 इकाइयों को ‘फिक्सड केपिटल इन्वेस्टमेंट’ की 20 प्रतिशत या अधिकतम 20 करोड़ रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी।
यह छूट तीनों तरह यानी दुपहिया, तिपहिया और चार पहिया व्हीकल पर लागू होगी। इनमें बस और हेवी व्हीकल (ट्रक आदि) भी शामिल रहेंगे। सरकार का मानना है कि पॉलिसी से राज्य में बिजली से चलने वाले इलेक्ट्रिक-वाहनों की ‘सेल-स्पीड’ बढ़ेगी। सरकार जहां इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग हेतु जागरूक कर रही है, वहीं वाहन निर्माता कंपनियों के लिए छूट का ‘बोनांजा’ बनाया गया है ताकि वे भी पर्यावरण अनुकूल वाहन बनाने के लिए प्रेरित हो सकें।