Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

सीएमओ में तैनात रहे नेताओं को टिकट से भाजपा की तौबा

कई चेहरे थे टिकट की दौड़ में, किसी को नहीं दिया मौका

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 5 सितंबर

Advertisement

हरियाणा सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) में तैनात रहे नेताओं में से किसी को भी भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दी है। सीएमओ में विभिन्न पदों पर रहे नौ लोग टिकट के लिए भागदौड़ कर रहे थे, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने किसी पर भी भरोसा नहीं किया। इनमें से कई तो ऐसे थे जो टिकट को लेकर हद से अधिक सीरियस थे लेकिन भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने सीएमओ के किसी भी अधिकारी को टिकट देने से तौबा कर ली है।

Advertisement

इतना ही नहीं, इस बार प्रदेशाध्यक्ष से लेकर तीनों संगठन महामंत्रियों और संगठन के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों को भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली वर्तमान में राई से विधायक हैं लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला है। हालांकि हालिया लोकसभा चुनाव उन्होंने सोनीपत से चुनाव लड़ा था। पिछले दिनों उनका बयान भी आ चुका है कि वे इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। अलबत्ता सभी नब्बे हलकों में चुनाव लड़वाएंगे।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री कृष्ण कुमार बेदी शाहाबाद से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उनकी टिकट काटकर शाहाबाद से सुभाष कलसाना को टिकट दिया है। बेदी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के राजनीतिक सचिव भी रहे हैं। पार्टी महामंत्री सुरेंद्र पूनिया और डॉ़ अर्चना गुप्ता भी टिकट की दौड़ में शामिल रहे। सुरेंद्र पूनिया हिसार और अर्चना गुप्ता पानीपत शहरी से टिकट की लाइन में थीं लेकिन दोनों में से किसी को भी टिकट नहीं मिला है।

पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष जीएल शर्मा गुरुग्राम से टिकट के दावेदार थे। उन्हें टिकट देने की बजाय पार्टी ने केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर मुकेश शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। संगठन के ही वरिष्ठ पदाधिकारी और सीएमओ में मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे चुके कैप्टन भूपेंद्र सिंह नलवा से चुनाव लड़ना चाहते थे। पार्टी ने नलवा से कैप्टन भूपेंद्र की बजाय पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई की पसंद से उनके पारिवारिक मंत्री रणधीर सिंह पनिहार पर भरोसा जताया है।

पूर्व सीएम मनोहर लाल के दो बार ओएसडी रहे जवाहर यादव ने गुरुग्राम की बादशाहपुर सीट से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारियां की हुई थीं। उनकी गिनती मनोहर लाल के नजदीकियों में होती है। बताते हैं कि टिकट आवंटन के समय उनके नाम पर केंद्रीय नेतृत्व ने चर्चा तक नहीं की। 2019 में कैबिनेट मंत्री रहते हुए राव नरबीर सिंह की भाजपा ने टिकट काट दी थी लेकिन इस बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दखल के चलते वे टिकट हासिल करने में कामयाब रहे। राव नरबीर सिंह ने यहां से टिकट लेकर पार्टी के कई दिग्गज नेताओं के मंसूबों पर भी पानी फेर दिया है।

एचसीएस अधिकारी रहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे अमरजीत सिंह रोहतक जिला के कलानौर हलके से चुनाव लड़ना चाहते थे। उनका नाम भी पैनल में शामिल था लेकिन भाजपा ने कलानौर से रोहतक नगर निगम की पूर्व मेयर रेणु डाबला को टिकट दिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के ओएसडी रहे अभिमन्यु राव कोसली हलके से चुनावी तैयारियों में जुटे थे। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ नजदीकियों के चलते वे अपनी टिकट कंफर्म मानकर चल रहे थे। भाजपा ने कोसली से राव इंद्रजीत सिंह के करीबी अनिल ढहीना को प्रत्याशी बनाया है।

मीडिया कोटे से भी टिकट नहीं

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल व मौजूदा सीएम नायब सिंह सैनी के एडवाइजर (पब्लिसिटी) तरुण भंडारी, मीडिया एडवाइजर (नई दिल्ली) राजीव जेटली व मीडिया सचिव प्रवीण अत्रे भी चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। हालांकि प्रवीण अत्रे टिकट के लिए कहीं भागदौड़ करते नजर नहीं आए। वे पिहोवा से टिकट चाहते थे। वहीं तरुण भंडारी पंचकूला और राजीव जेटली बड़खल से टिकट के लिए लॉबिंग कर रहे थे। पार्टी नेतृत्व ने उन्हें भी टिकट नहीं दिया है।

गौड़ पर भारी पड़े विपुल गोयल

फरीदाबाद सीट से पूर्व सीएम मनोहर लाल के राजनीतिक सचिव रहे अजय गौड़ पिछले कई दिनों से तैयारी कर रहे थे। उन्हें इस सीट से मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा था। बताते हैं कि आखिरी समय तक उनका नाम पैनल में भी शामिल रहा लेकिन आखिरी वक्त में पूर्व उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री विपुल गोयल टिकट हासिल करने में कामयाब रहे। 2014 में विपुल गोयल पहली बार यहां से विधायक बने थे और उस समय मनोहर सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर के विरोध के चलते 2019 में उनका टिकट कट गया था लेकिन इस बार वे टिकट हासिल करने में कामयाब रहे।

Advertisement
×