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60 करोड़ से मिल लगाएगा बायो मिक्स बैड बायो सीएनजी प्लांट

वातावरण सुधारने में मददगार होगी सहकारी शुगर मिल
बायो मिक्स बैड बायो सीएनजी प्लांट का दृश्य (फाइल फोटो)। -हप्र
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रमेश सरोए/हप्र

करनाल, 7 मई

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हर साल पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को रोकने के साथ लोगों के स्वास्थ्य स्वस्थ बनाये रखने के लिए सरकार गंभीरता से काम करने में जुटी है, इसी दिशा में दी सहकारी शुगर मिल 60 करोड़ की लागत से 10 एकड़ में 10 टन का मिक्स बैड बायो सीएनजी प्लांट लगाएगा, जिसे शुगर मिल से निकलने वाली मैली के साथ पराली और शहर से निकलने वाले गीले कचरे से चलाया जाएगा, जबकि इस प्लांट से निकला खाद भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में काफी मददगार साबित होगा।

मिल प्रबंधन की मानें तो प्लांट लगाने के लिए मिल प्रबंधन द्वारा प्रपोजल तैयार किया, जिसको देखते हुए हरियाणा शुगर फेड ने पर्यावरण को सुधारने व मिलों की आय बढ़ाने के लिए हरियाणा के 10 शूगर मिलों में इसी तरह के प्लांट लगाए जाने का निर्णय लिया गया। प्रक्रिया अंतिम चरण में है। करनाल शुगर मिल में प्लांट चालू होगा तो इसके लिए जिलेभर से करीब 22 हजार एकड़ से अधिक की पराली खरीदी जाएगी, जिससे प्लाट को लगातार चलाया जाएगा।

एक्सपर्ट की मानें तो एक टन पराली से 80 से 90 किलो गैस निकलती है जबकि पोल्ट्री के एक टन वेस्ट से 40 से 50 किलोग्राम गैस निकलती है। गैस को मिल के साथ जा रही गेल और इंडियन ऑयल की पाइप लाइन के साथ जोड़ा जाएगा साथ ही मिल के पेट्रोल पंप से एक कनेक्शन दिया जाएगा, जिससे वाहन चालक पंप से सीएनजी भरवा सकेंगे।

बता दें कि मिल प्रबंधन द्वारा मिल में तैयार अतिरिक्त बिजली को बेचकर प्रतिवर्ष 22 करोड़ रुपए से अधिक की अतिरिक्त आमदनी कर रहा है। हर साल करीब 60 लाख क्विंटल गन्ना की पिराई मिल द्वारा प्रतिवर्ष 50 से 60 लाख क्विंटल गन्ना की पिराई की जाती है, पिराई के बाद जो मैली निकलती है। उस मैली से बायो सीएनजी प्लांट को करीब 80 दिनों तक ही चलाया जा सकता। इसको लगातार चलाने के लिए मैली के अलावा पराली और गीला कचरे की आवश्यकता होगी।

राजीव प्रसाद

''प्रोजेक्ट पर खर्च करीब 60 करोड़ रुपए का है, इसमें से 10 करोड़ रुपए की सब्सिडी भारत सरकार देगी। प्लांट चालू होने के बाद बायो गैस बनाई जाएगी, जिसे ऑयल कंपनियों को दिया जाएगा। इससे मिल को प्रतिवर्ष करीब 10 से 12 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि किसानों से सीधे तौर पर पराली खरीदी जाएगी, जिससे किसानों को भी फायदा होगा, साथ ही पराली जलाने की घटनाएं नहीं होंगी। जब किसान पराली नहीं चलाएंगे तो हवा जहरीली नहीं होगी, जिससे पर्यावरण शुद्ध रहेगा, लोगों को शुद्ध हवा मिलती रहेंगी। इसके अलावा प्लाट से बायोगैस बनाने के बाद जो कचरा निकलेगा, वे शुद्ध रूप से जैविक खाद होगा, जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि प्लांट लगने से मिल को प्रतिवर्ष 10 से 12 करोड़ रुपए से अधिक की अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होगी।''

-राजीव प्रसाद, एमडी, सहकारी शूगर मिल, करनाल।

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