दिनेश भारद्वाज/दलेर सिंह
चंडीगढ़/जींद, 20 अक्तूबर (ट्रिन्यू/हप्र)
हरियाणा के बरोदा विधानसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव के प्रचार के बीच भाजपा को करारा झटका देते हुए पूर्व विधायक परमेंद्र सिंह ढुल ने मंगलवार को भाजपा को अलविदा कह दिया। इतना ही नहीं, उनके बेटे तथा पार्टी के स्टेट मीडिया पेनलिस्ट रविंद्र सिंह ढुल ने भी भाजपा छोड़ दी है। ढुल ने एडिशनल एडवोकेट जनरल (एएजी) पद से भी त्याग-पत्र दे दिया है। केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीन नये कानूनों का विरोध करते हुए परमिंद्र व रविंद्र ढुल ने भाजपा छोड़ी है।
जींद स्थित अपने आवास पर सुबह बुलाये गये पत्रकारवार्ता में ढुल ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि उन्होंने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा दे दिया है और उसे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के पास ईमेल के जरिये भेज भी दिया है। पूर्व विधायक ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाये गये 3 कृषि बिलों के विरोध में उन्होंने भाजपा छोड़ी है क्योंकि ये बिल किसान को बर्बाद करने वाले बिल हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले उन्होंने बिलों को लेकर पार्टी प्लेटफार्म, मुख्यमंत्री व प्रदेशाध्यक्ष से भी बात की, लेकिन उनकी बातें केवल ‘जुमला’ ही थी। अब वे किसान वर्ग के हित के लिए किसानों के साथ मिलकर संघर्ष करेंगे।
उन्होंने कहा कि नये कृषि बिलों के माध्यम से भाजपा सरकार पे किसानों को पूंजीपतियों के हाथ में सौंपने का रास्ता साफ कर दिया है। बीजेपी जेजेपी पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए ढुल ने कहा कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का दावा करने वाली भाजपा सरकार किसान की फसल को एमएसपी पर खरीदने की गारंटी ही नहीं दे रही। उन्होंने कहा आज दीनबंधु सर छोटू राम की आत्मा भी दुखी होगी, क्योंकि आज धरतीपुत्र किसान रो रहा है। अब किसानों की लड़ाई लड़ूंगा। आज मैं किसान के साथ खड़ा हूँ । अगला राजनैतिक कदम जुलाना क्षेत्र में अपने कार्यकर्ताओं से सलाह मशविरा करके ही उठाया जाएगा।
इनेलो छोड़कर भाजपा का पकड़ा था दामन
ढुल 2014 में इनेलो टिकट पर जुलाना से विधायक बने थे। 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद उन्होंने इनेलो छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। भाजपा ने उन्हें जुलाना से विधानसभा चुनाव भी लड़वाया लेकिन वे जेजेपी प्रत्याशी अमरजीत सिंह ढांडा के हाथों चुनावों में शिकस्त खा बैठे। ढुल शुरू से ही किसान बिलों का विरोध कर रहे थे। मंगलवार को उन्होंने पार्टी के सभी पदों सहित प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए कहा, ‘कृषि कानूनों का विरोध अंतिम सांस तक जारी रहेगा’। उन्होंने कहा, ‘घुटनों के बल जीने के बजाय मैं खड़ा होकर मरना पसंद करूंगा’। इससे पहले खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में मुख्य संसदीय सचिव रहे श्याम सिंह राणा भी किसान बिलों के विरोध में भाजपा छोड़ चुके हैं। परमिंद्र सिंह ढुल को जुलाना हलके में जमीन से जुड़ा हुआ नेता माना जात है। विधानसभा में रहते हुए भी वे बेस्ट वक्ताओं में शामिल रहे। खट्टर सरकार ने दूसरे कार्यकाल में उनके बेटे रविंद्र सिंह ढुल को एडवोकेट जनरल कार्यालय में एडिशनल एडवोकेट जनरल के पद पर नियुक्त किया था। साथ ही, भाजपा ने उन्हें संगठन में जगह देते हुए मीडिया पेनलिस्ट बनाया। मंगलवार को ढुल ने मीडिया पेनलिस्ट के साथ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया। ढुल ने एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन से मुलाकात करके एएजी का पद भी छोड़ दिया।
‘सत्ता का कोई भी लालच किसान हित से ऊपर नहीं हो सकता’
इस्तीफा देने के बाद मीडिया से बातचीत में रविंद्र ढुल ने कहा, ‘सत्ता का कोई भी लालच किसान हित से ऊपर नहीं हो सकता’। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को पत्र भी लिखा है और इसमें खुलकर किसान बिलों का विरोध किया है। ढुल का कहना है कि केंद्र सरकार के कृषि से जुड़े तीन बिल काले कानून बराकर हैं। किसानों को पूंजीपतियों के हाथों में सौंपने की सरकार ने तैयारी की है। उन्होंने भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप भी लगाया है।
भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार पर लोगों से धोखा करने का आरोप
वहीं पूर्व विधायक परमिंद्र सिंह ढुल ने राज्य की भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार पर लोगों के साथ धोखा करने के आरोप जड़े हैं। रविंद्र ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय दोगुणी करने के नाम पर किसानों के साथ ठगी हो रही है। उन्होंने कहा, ‘आज दीनबंधु चौ़ सर छोटूराम की आत्मा भी दुखी होगी क्योंकि आज किसान पुत्र रो रहा है’। ढुल ने कहा, ‘मेरे अलावा और भी कई पूर्व विधायक हैं, जिन्होंने इन बिलों का विरोध किया लेकिन के सत्ता के घोड़े पर सवार सरकार को जमीनी सच्चाई नज़र नहीं आ रही है’।