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पेरिस पैरालंपिक में छाया बहादुरगढ़ का योगेश कथुनिया, जीता रजत

बहादुरगढ़, 2 सितंबर (निस) पेरिस पैरालंपिक खेलों में अर्जुन अवार्डी बहादुरगढ़ का एथलीट योगेश कथुनिया छाया रहा। पुरुषों की एफ 56 चक्काफेंक स्पर्धा में 42.22 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ सोमवार को उन्होंने रजत पदक जीतकर...

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पेरिस पैरालम्पिक में योगेश कथुनिया के रजत पदक जीतने पर मिठाई खिलाकर खुशी जताते परिवार के सदस्य।-निस
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बहादुरगढ़, 2 सितंबर (निस)

पेरिस पैरालंपिक खेलों में अर्जुन अवार्डी बहादुरगढ़ का एथलीट योगेश कथुनिया छाया रहा। पुरुषों की एफ 56 चक्काफेंक स्पर्धा में 42.22 मीटर के सत्र के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ सोमवार को उन्होंने रजत पदक जीतकर अपने क्षेत्र व देश का नाम रोशन किया। परिवार के सदस्य, खेल प्रशंसक उसकी इस उपलब्धि से बेहद खुश नजर आये। योगेश के रजत पदक जीतने पर उनके दादा हजारी, पिता कैप्टन ज्ञानचंद कथुनिया, माता मीना देवी, चाचा, कर्मबीर, सतपाल, राजेंद्र, चाची इंदू रानी, बहन पूजा, बहनोई रवि समेत परिवार के अन्य सदस्यों ने ढोल की थाप पर नाचकर व लड्डू बांटकर कॉलोनीवासियों, परिचितों व परिवार के सदस्यों के साथ खुशी मनाई। शहर के बराही रोड निवासी 27 वर्षीय पैरालंपिक खिलाड़ी योगेश कथुनिया ने लगातार दूसरे पैरा ओलंपिक में रजत पदक जीता है। सोमवार को उनके परिवार के सदस्यों ने एक साथ बैठकर उसका मुकाबला देखा और जैसे ही योगेश ने डिस्कस थ्रो में रजत पाया तो परिवार के सभी सदस्य खुशी के मारे उछल पड़े।

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घर लौटने पर होगा जोरदार अभिनंदन : योगेश कथुनिया की बहन पूजा ने कहा कि जब उसका भाई वापस घर लौटेगा तो उसका जोरदार स्वागत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 9 सितंबर को योगेश दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचेगा जहां से उसका स्वागत शुरू होगा और बहादुरगढ़ में भी परिजन व खेलप्रेमी योगेश का एक भव्य रोड शो निकलेंगे।

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9 साल की उम्र में हो गया था लकवाग्रस्त

करीब 9 साल की उम्र में लकवाग्रस्त होने वाले योगेश कथूनिया ने टोक्यो पैरालंपिक 2021 में देश को रजत पदक दिलाया था। उसके बाद से योगेश ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 1997 में जन्मे योगेश कथुनिया वर्ष 2006 में हाथ व पैर से पैरालाइज हो गए थे। 9 साल की उम्र में योगेश को गिलियन-बैरे सिंड्रोम हो गया। उन्होंने चंडीगढ़ में इंडियन आर्मी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की, जहां उनके पिता छावनी में सेना में कार्यरत थे। बेटे को ठीक करने के लिए मां मीना देवी ने फिजियोथेरेपी सीखी और 3 साल के भीतर यानी 12 साल की उम्र में योगेश ने फिर से चलने की ताकत जुटा ली। बाद में उन्होंने दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में दाखिला लिया, जहां से उन्होंने डिग्री हासिल की। यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान गेम्स में भाग लेने लगे।

कई रिकॉर्ड है योगेश के नाम

2023 में भी योगेश कथुनिया ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए एक स्वर्ण व 2 रजत पदक देश के नाम किये थे। योगेश ने मई 2023 में पैरा एथलेक्टिस चैम्पियनशिप 2023 में चक्का फेंक में 46.79 का रिकॉर्ड बना कर स्वर्ण जीता था। उसके बाद जुलाई 2023 में पेरिस में आयोजित वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भी रजत पदक जीता। अक्तूबर 2023 में चीन में हुए एशियाई पैरा खेलों में योगेश ने रजत पदक देश के नाम कर दिया। वहीं 2024 की शुरुआत में गोवा में नेशनल गेम्स में भी योगेश मेडल जीत चुका है। पिछले साल ही योगेश कथुनिया को अर्जुन अवॉर्ड भी मिला था।

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