कलायत (निस) : बारदाना की कमी गेहूं उठान की लगातार बढ़ती समस्या को लेकर कलायत अनाज मंडी व अन्य अनाज मंडियों के व्यापारियों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। बारदाना न मिलने पर बुधवार बाद दोपहर कलायत अनाज मंडी व अन्य अनाज मंडियों के व्यापारी इकट्ठे होकर अनाज मंडी प्रधान विजेंद्र सहारण के प्रतिष्ठान पर पहुंचे और उन्हें कई दिनों से अनाज मंडी में बढ़ रही बारदाने की समस्या बारे अवगत करवाया। अनाज मंडी व्यापारी राजेश कुमार, सोहनलाल, राजेंद्र कुमार, ऋषि पाल व दूसरे व्यापारियों ने कहा कि 10-15 दिन से किसान अपनी फसल लेकर अनाज मंडियों में आया हुआ है। गेहूं के लिए बारदाना उपलब्ध न होने और समय से लिफ्टिंग न होने के कारण अनाज मंडी पूरी तरह गेहूं से भर चुकी है। बारदाना न होने के कारण उन्हें किसानों का भी गुस्सा झेलना पड़ रहा है। उन्होंने स्थानीय प्रशासन से अनाज मंडियों में आ रही बारदाने की कमी को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच के साथ-साथ कार्रवाई की मांग की है। हैफेड मैनेजर पिंकी ने बताया कि हैफेड की तरफ से गेहूं खरीद के अनुसार समय-समय पर बारदाना वितरित किया जा रहा है। बुधवार को हैफेड की तरफ से करीब एक लाख कट्टे मंडी एसोसिएशन को वितरित किए गए। कलायत मार्केट कमेटी सचिव अरविंद श्योकंद ने बताया कि अनाज मंडियों में उठान में हो रही देरी को लेकर मार्केट कमेटी कार्यालय की तरफ से लिफ्टिंग एजेंसियों को नोटिस जारी किया गया है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।