दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 22 जून
हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के प्रदर्शन को अच्छा ही माना जाएगा। कांग्रेस बेशक सिम्बल पर चुनाव नहीं लड़ी, लेकिन अधिकांश शहरों में कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों की हार पार्टी के लिए अलार्मिंग है। आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन को राजनीति दल भले ही अच्छा न मानें, लेकिन जिस तरह का प्रदर्शन पहली बार में ‘आप’ ने किया है, वह सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन के अलावा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है।
19 जून को 18 नगर परिषद और 28 नगरपालिकाओं के लिए मतदान हुआ। 18 लाख से अधिक मतदाताओं को इन चुनावों में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना था। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत वोटरों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। बुधवार को घोषित किए गए नतीजे जीत के लिहाज से गठबंधन सरकार के लिए फायदेमंद हो सकते हैं लेकिन मत प्रतिशत के हिसाब से इसे सही नहीं माना जा सकता।
कुल मतदान में से भाजपा ने 26.3 प्रतिशत के लगभग वोट हासिल किए हैं। वहीं उसकी गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी को 3.8 प्रतिशत के लगभग वोट मिले हैं। जजपा से अधिक 4.3 प्रतिशत वोट तो इनेलो ने भी ले लिए हैं। सबसे चिंता की बात यह है कि 52.2 प्रतिशत यानी आधे से भी अधिक वोट निर्दलीय प्रत्याशियों के खाते में गए हैं। बेशक, निर्दलीयों में भाजपा व कांग्रेस समर्थित भी हो सकते हैं, लेकिन इतने प्रतिशत वोट खिलाफ पड़ना उचित नहीं माना जा सकता।
अब चौकाने वाला आंकड़ा यह है कि पहली बार सिम्बल पर निकाय चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी ने 10.3 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं। पंजाब में प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने से अगर निकाय चुनावों की तुलना करें तो इस प्रदर्शन को किसी सूरत में अच्छा नहीं माना जा सकता। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि हरियाणा के समीकरण पंजाब और दिल्ली के मुकाबले पूरी तरह से अलग हैं और आप को अपनी रणनीति स्थानीय हिसाब से बनानी होगी।
इतना जरूर है कि निकाय चुनावों में हासिल वोट बैंक के हिसाब से अगर पार्टी ने और बारीकी से काम किया तो प्रदेश में जमे हुए दलों को और मेहनत करनी पड़ सकती है। इस्माइलाबाद में आप की निशा ने 1503 वोट लेकर भाजपा की पूजा गर्ग को चुनाव में शिकस्त दी। जीटी रोड बेल्ट के और भी कुछ शहरों में आप का प्रदर्शन काफी सही रहा है।
चरखी दादरी शहर में आप के शिवेंद्र ने 3453 वोट हासिल किए। कैथल में आप की नीलम रानी ने करीब 13 हजार वोट हासिल किए हैं। सोहना में आप प्रत्याशी ललिता ने भाजपा की अंजू को कड़ी टक्कर दी। ललिता ने 10 हजार 321 वोट हासिल किए हैं। वहीं भाजपा को यहां 12 हजार 183 वोट मिले। जींद में आप उम्मीदवार डॉ. रजनीश गर्ग बेशक बड़े अंतर से भाजपा से चुनाव हारे हैं लेकिन इस शहर में 9374 वोट हासिल करके उन्होंने सभी को चौंका दिया है। पलवल में भाजपा चुनाव जीत गई लेकिन आम आदमी पार्टी ने भी यहां 5126 वोट लेकर अच्छा प्रदर्शन किया।
करनाल जिला के घरौंडा शहर में भी आप ने भाजपा को टक्कर दी है। भाजपा प्रत्याशी यहां 5108 वोट लेकर चुनाव जीते। वहीं आप के सुरेंद्र कुमार ने 5077 वोट हासिल किए हैं। लाडवा नगर पालिका में चेयरपर्सन का चुनाव भाजपा की साक्षी खुराना ने जीता। उन्हें 5818 वोट मिले। निर्दलीय सुमित बंसल को 4402 वोट मिले लेकिन यहां से आप के अनिल कुमार के प्रदर्शन को भी कम नहीं आंक सकते। अनिल को 4358 वोट मिले हैं। दिल्ली से सटी कुंडली पालिका में भी भाजपा को आप से टक्कर मिली। भाजपा की शिमला देवी 1987 वोट लेकर चुनाव जीतीं। आप की कुमारी अंजलि ने 1910 वोट हासिल किए।
4 शहरों का ताला नहीं खोल पाई ‘चाबी’
प्रदेश के 4 उन शहरों में सत्ता का ताला जजपा की चाबी नहीं खोल पाई, जहां विधायक भी जननायक जनता पार्टी के ही हैं। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत सिंह चौटाला खुद अपने निर्वाचन क्षेत्र उचाना से पार्टी उम्मीदवार को चुनाव नहीं जितवा पाए। यहां जजपा तीसरे नंबर पर जा पहुंची। विकास एवं पंचायत मंत्री देवेंद्र सिंह बबली खुद के निर्वाचन क्षेत्र टोहाना में पार्टी उम्मीदवार को हराने से नहीं बचा सके। नरवाना में रामनिवास सुरजाखेड़ा जजपा विधायक हैं और इस नगर परिषद में जजपा प्रत्याशी की जमानत तक नहीं बची। जजपा प्रत्याशी छवि बंसल को महज 327 वोट मिले। बरवाला से जजपा के जोगीराम सिहाग विधायक हैं। इस पालिका में जजपा उम्मीदवार रमेश बंसल भी चुनाव हार गए। निर्दलीय अनिता रानी ने जजपा की मंजू को चुनाव में शिकस्त दी।