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ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 22 मार्च
हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के आखिरी दिन बुधवार को हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण विधयेक-2023 (हरकोका) को पास कर दिया गया। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज की गैर-मौजूदगी में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधेयक पेश किया। बता दें कि हरियाणा ने 2021 में भी इसे पास किया था, लेकिन राष्ट्रपति भवन की आपत्तियों के चलते वापस आ गया। कुछ संशोधनों के बाद भी कमियां रह गयीं। फिर सरकार ने महाराष्ट्र सहित संबंधित राज्यों के कानूनों का अध्ययन किया, कानूनी राय ली और जरूरी संशोधन किए। अब यह विधेयक पहले राज्यपाल के पास जाएगा और फिर इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
संशोधित विधेयक से ‘एडवोकेट’ शब्द हटा दिया गया है। कांग्रेस विधायक चाहते थे कि इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मांग ठुकराते हुए कहा कि पूर्व में भी दो बार बिल पास हो चुका है। अब देरी नहीं की जाएगी। विधेयक के मसले पर असंध के विधायक शमेशर सिंह गोगी का सीएम के साथ टकराव भी हुआ। गोगी ने कहा, ‘हम पुलिस स्टेट की ओर से बढ़ रहे हैं। इससे लोकतंत्र की हत्या हो जाएगी।’ गोगी अपनी पार्टी के खिलाफ ही आ डटे। उन्होंने कहा, ‘मैं व्यक्तिगत तौर पर इस विधेयक के खिलाफ हूं। भले ही पार्टी इसके समर्थन में हो।’ इसके बाद मुख्यमंत्री ने कांग्रेसियों की ओर इशारा करते हुए बदमाशों से जुड़े एक शब्द का इस्तेमाल किया और इस पर कांग्रेसी भड़क उठे। हालांकि बाद में सीएम और गोगी द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों को सदन की कार्यवाही से बाहर निकाल दिया गया।
इसी दौरान कांग्रेस विधायक आसन तक आ गए। मामला बढ़ता देख मुख्यमंत्री के सुझाव पर स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने 15-15 मिनट के लिए दो बार विधानसभा स्थगित की। मुख्यमंत्री द्वारा बिल के पेश करते ही कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने बिल के कई बिंदुओं को हटाने का सुझाव दिया। इसी बीच कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी, बीबी बतरा, शमशेर गोगी, जगदेव मलिक और आफताब अहमद ने अपने-अपने तरीके से बिल के कई बिंदुओं पर एतराज जताया।
इन राज्यों में पहले से है ऐसा कानून
महाराष्ट्र ने 1999 में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) लागू किया था। बाद में दिल्ली ने भी इसे अपनाया। उत्तर प्रदेश, गुजरात और कर्नाटक राज्यों ने भी ऐसे अधिनियम बनाए। अब हरकोका को लेकर भी कहा जा रहा है कि गैंगस्टर्स, उनके मुखियाओं और संगठित गिरोहों के सदस्यों के खिलाफ सख्ती होगी।
इन अधिकारियों की मंजूरी से दर्ज होगा केस
हरकोका के तहत पुलिस महानिरीक्षक या इससे ऊपर के रैंक के आईपीएस अधिकारी की मंजूरी के बाद ही केस दर्ज होगा। आरोपों की जांच पुलिस उपाधीक्षक या उससे ऊपर के रैंक का अधिकारी ही करेगा। पुलिस अधिकारियों के समक्ष बयान के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष यह दर्ज होगा। एक से अधिक बार आरोप पत्र पर भी सख्ती होगी।
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