सोनीपत, 4 दिसंबर (हप्र)
सोनीपत में करोड़ों के राजस्व का घोटाला सामने आने के बाद अब ठेकेदार करीब पांच लाख पेटी शराब का हिसाब नहीं दे पा रहे। आबकारी विभाग के अधिकारियों के परमिट आॅर्डर पर उसके शराब की पेटियों को उठाने की जानकारी तो अधिकारियों को मिल गई है, लेेकिन वह कहां पर बेची गई इसका हिसाब नहीं है। ऐसे में देशी शराब को ग्रामीण क्षेत्रों में खपाने या तस्करी करके दूसरे राज्यों को भेजने की भी आशंका है। चर्चा है कि इस घोटाले में तीन अधिकारियों के निलंबित होने के बाद और अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।
अधिकारियों का मिला पूरा संरक्षण! अधिकारी शराब ठेकेदारों से नियमों का पालन नहीं करा सके। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अधिकारियों ने गोदाम पर जाकर निरीक्षण भी नहीं किया। ठेकेदारों का स्टॉक रजिस्टर कई महीने से अधूरा पड़ा है।
उसके बावजूद अफसरों ने ठेकेदारों को समय रहते नोटिस जारी नहीं किया। उसको लगातार एक्सेस परमिट मिलते रहे और शराब की बिक्री होती रही। इससे घपला बड़ा हो गया। ऐसे में शराब ठेकेदारों और अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है।
पेटियाें का रिकॉर्ड नहीं मिला
ठेकेदारों द्वारा ली गई देशी शराब की पांच लाख पेटी का रिकार्ड नहीं मिल रहा है। ठेकेदार पांच लाख पेटियों का राजस्व तो जमा कराने को तैयार है, लेकिन शराब की बिक्री कहां पर की गई, इसकी जानकारी नहीं दे रहा है। बताया जाता है कि अधिकारियों ने अब तक ठेकेदारों से करीब 10 करोड़ रुपया जमा करा लिया था। वहीं पूरा रुपया जमा कराने को दबाव बनाया जा रहा है। अधिकारियों को अब देशी शराब की पांच लाख पेटियों की चिंता होने लगी है। आशंका इस बात की भी है कि कहीं शराब को चुनाव से पहले गांवों में तो नहीं खपा दिया गया किसी अन्य राज्यों में अवैध सप्लाई तो नहीं कर दी गई।
यह है नियम
आबकारी एक्ट के अनुसार शराब गोदाम के ठेकेदार को अपनी खरीद और बिक्री का पूरा रिकार्ड रखना होगा। स्टॉक रजिस्टर को भरकर पूरा रखा जाएगा। फैिक्ट्रयों से आने वाली शराब का बैच नंबर सहित स्टॉक में चढ़ाया जाएगा और जिन शराब ठेकों को इसकी सप्लाई की जाएगी, उसके बिल भी स्पष्ट होंगे। उसके आधार पर स्टॉक का मिलान और अतिरिक्त राजस्व की वसूली की जाती है। इसके लिए अफसरों को प्रत्येक सप्ताह गोदामों का निरीक्षण करना होता है और स्टॉक रजिस्टर को सत्यापित करना होता है।
यह है मामला
ठेकेदारों ने आबकारी विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर बिना राजस्व जमा कराए कोटे से करीब 5 लाख पेटी शराब उठवा दी। मामला सामने आने पर 24 नवंबर को डीईटीसी नरेश कुमार, एडीईटीसी कश्मीर सिंह कंबोज और निरीक्षक रामपाल सिंह को निलंबित किया गया था।