चंडीगढ़, 27 जून (ट्रिन्यू)
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में अडाणी पावर लिमिटेड के साथ अनुपूरक विद्युत खरीद समझौते पर हस्ताक्षर करने की स्वीकृति प्रदान की गई। हरियाणा डिस्कॉम्स ने अडाणी पावर लिमिटेड के साथ 712-712 मेगावाट बिजली की खरीद के लिए 7 अगस्त, 2008 को दो समझौते किए थे, जिसमें 25 वर्षों के लिए 2.94 रुपये प्रति यूनिट बिजली ली जानी थी। यह बिजली गुजरात राज्य के मुंद्रा विद्युत परियोजना की उत्पादन इकाइयों 7, 8 और 9 से कुल 1424 मेगावाट की अनुबंधित क्षमता में निहित नियमों और शर्तों के साथ मिलनी थी। जिनमें यूनिट-7 को 7 अगस्त, 2012 को जबकि यूनिट 8 और 9 को 7 फरवरी, 2013 को संचालित किया गया।
अडाणी पावर लिमिटेड ने सितंबर 2021 से इस आधार पर बिजली की आपूर्ति बंद कर दी थी कि आयातित कोयले की बढ़ी हुई दरों के कारण उच्च परिचालन लागत बढ़ गई है और उन्हें नुकसान हो रहा है। कम्पनी ने बिजली खरीद अनुबंध और संबंधित मुद्दों पर, विशेष रूप से आयातित कोयले की लागत को पूरा करने लिए फिर से बातचीत करने की मांग की। इसके लिए उपलब्ध विभिन्न विकल्पों को ध्यान में रखते हुए और सबसे उचित कीमत पर बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हरियाणा डिस्कॉम्स ने बातचीत की और विभिन्न बिंदुओं पर सहमति बनी।
1) 224 मेगावाट की आयातित कोयला आधारित क्षमता को छोड़ना और केवल घरेलू कोयले से उत्पादित होने वाली हरियाणा परिधि में 1200 मेगावाट की कुल क्षमता को बनाए रखना। शेष आयातित कोयला आधारित होगा, जिसे यदि निर्धारित किया जाता है तो उसका भुगतान आयातित कोयले की लागत और अन्य लागत संबंधित मुद्दों के साथ किया जाएगा।
2) विभिन्न मंचों और अदालतों के समक्ष सभी लंबित मुकदमों को वापस लेना और निपटान करना। मंत्रिपरिषद ने उपरोक्त प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति प्रदान कर दी और अडाणी पावर लिमिटेड के साथ अनुपूरक विद्युत खरीद समझौते इस शर्त के साथ किया जाए और अडाणी पावर लिमिटेड के अनुवर्ती बकाया भुगतान के लिए महाधिवक्ता, हरियाणा की सहमति ली जाए।
यूएचबीवीएनएल के लिए 700 करोड़ रुपये की गारंटी
मंत्रिमंडल ने राज्य सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय और बिजली खरीद भुगतान को पूरा करने के लिए उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम लिमिटेड (यूएचबीवीएनएल) को स्वीकृत ऋण के खिलाफ सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, सेक्टर -10, पंचकूला के पक्ष में 700 करोड़ रुपये की गारंटी प्रदान करने के प्रस्ताव को कार्योत्तर स्वीकृति प्रदान की है। निगम विभिन्न बैंकों द्वारा स्वीकृत निधि-आधारित और गैर-निधि-आधारित कार्यशील पूंजी सीमाओं का उपयोग करके अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों का प्रबंधन करता है। बिजली खरीद भुगतान में वृद्धि के कारण, पूंजीगत व्यय की आवश्यकता को पूरा करने के लिए और बिजली मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार बिजली आपूर्तिकर्ताओं के पक्ष में साख पत्र प्रदान करने के कारण, नए कार्यशील पूंजी ऋण और कैपेक्स ऋण की आवश्यकता है।