पौधारोपण में जवाबदेही तय, मेंटनेंस भी टेंडर का हिस्सा
सोमवार को विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में कैबिनेट मंत्री ने साफ कहा कि डीएफओ का एकाधिकार अब नहीं चलेगा। पारदर्शिता सिस्टम का हिस्सा बनेगी और काम का जिम्मेदार भी तय होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि टेंडर लेने वाले ठेकेदारों द्वारा मजदूरों की ईएसआई राशि जमा करवाने की मासिक निगरानी की जाएगी ताकि श्रमिकों का शोषण न हो और विभागीय जवाबदेही मजबूत रहे।
बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल, सभी प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। मंत्री ने अधिकारियों से कहा कि पौधारोपण और संरक्षण - दोनों में लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। नई प्रणाली लागू होने के बाद राज्य में पौधारोपण अभियान न केवल पारदर्शी होगा, बल्कि दीर्घकालिक रूप से राज्य के हरित भविष्य को भी मजबूत करेगा।
नहरों के दोनों ओर बनेंगे ‘ग्रीन कॉरिडोर’
समीक्षा बैठक के दौरान बताया गया कि विभाग की वर्तमान में 87 रेंज हैं और पौधारोपण कार्य पांच वर्षीय अवधि के टेंडरों के आधार पर चलता है। राव नरबीर ने निर्देश दिए कि नहरों के दोनों ओर बड़े पैमाने पर पौधारोपण पर जोर दिया जाए। इसके लिए सिंचाई विभाग के साथ संयुक्त रूप से नहर किनारे की जमीन की दोबारा पैमाइश करवाई जाएगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जहां-जहां अतिक्रमण मिलेगा, वह हटेगा। और जहां जमीन खाली होगी, वहां हरियाली खड़ी होगी। यह हरियाणा में एक बड़े ग्रीन कॉरिडोर की आधारशिला माना जा रहा है।
नर्सरी के लिए अलग बजट की कवायद
मंत्री ने कहा कि नर्सरी प्रबंधन के लिए अलग बजट का प्रस्ताव गंभीर विचाराधीन है। उनका कहना था कि सरकार का लक्ष्य है कि केंद्र और राज्य की योजनाओं के तहत पंचायती, निगम और अन्य सरकारी जमीनों पर हर वर्ष बड़े पैमाने पर पौधे लगाए जाएं और उनके रखरखाव को भी मजबूती से लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि पौधे धरातल पर दिखने चाहिए, सिर्फ फाइलों में नहीं।
